Monday, 17 June 2019

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Quantum number (क्वांटम संख्या)

सर्वप्रथम Neil Bohr ने बताया कि इलेक्ट्रॉन एक particle है जो नाभिक के चारो ओर चक्रण करता है।फिर बाद में Huysenberg, De Broglie जैसे वैज्ञानिकों ने बताया कि इलेक्ट्रॉन एक तरंग है जो कि 3 D में रहता है। इरविन श्रोडिंगर ने इलेक्ट्रॉन को तरंग बताया और इसकी पाए जाने की संभावना के लिए समीकरण दिए। फिर इन समीकरणों से तीन क्वांटम संख्या, मुख्य क्वांटम संख्या(Principal Quantum number), azimuthal Quantum number तथा Magnetic quantum number जो इलेक्ट्रॉन के पाए जाने वाले स्थान अर्थात कक्षक की आकृति,आकार तथा अभिविन्यास के बारे में बताता है,का प्रादुभाव हुआ।
किसी इलेक्ट्रॉन के चक्रण को स्पष्ट करने के लिए एक और क्वांटम संख्या की जरूरत होती है जिसे चक्रण क्वांटम संख्या (Spin quantum number) कहते है।
कक्षक वह 3 D space होता है जहां इलेक्ट्रॉन की पाए जाने की संभावना अधिक होती है।
अतः क्वांटम संख्या किसी परमाणु के किसी इलेक्ट्रॉन के बारे  में संपूर्ण जानकारी देता है।अर्थात उसकी एनर्जी,आकार,आकृति,अभिविन्यास के बारे में बताता है।
इस प्रकार इन चार क्वांटम संख्या के द्वारा यह ज्ञात किया जा सकता है कि किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन कौन सी शेल में है या कौन सा ऊर्जा स्तर में है,उस कोश के किस उपकोष में है या उप ऊर्जा स्तर में है तथा उस उपकोष के किस कक्षक में है तथा चक्रण क्या है इसके बारे में जानकारी मिलती है।

Principal quantum number;

यह क्वांटम संख्या मुख्य ऊर्जा कोश या मुख्य ऊर्जा स्तर के बारे में बताता है जिसमें इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहता है। इसे n से प्रदर्शित करते है।n के मान से मुख्य ऊर्जा स्तर या कोश के बारे में जानकारी मिलती है जिसमें इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहता है और चक्रण करता है।
यदि n=1 हो तो इसे K कोश कहते है जो नाभिक से प्रथम वाला कोश होता है।
n=2 को L कोश कहते है जो नाभिक से द्वितीय वाला होता है।
n=3 को M कोश कहते हैं n=4 को N कोश कहते है।
जैसे जैसे n का मान बढ़ता है कोशो की संख्या भी बढ़ती जाती है जिससे परमाणु का आकार बढ़ता है।
n के मान से परमाणु की ऊर्जा का ज्ञान होता है।
किसी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या का ज्ञान होता है जिसे सूत्र 2n^2 (two n square) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।जैसे n=1 में 2 electrons तथा  n= 2 में 8 electrons होता है।

Azimuthal Quantum number:

एक ही मुख्य कोश में कई उप कोश या उप ऊर्जा स्तर होते है। इन उपकोशो को करने हेतु azimuthal Quantum number ki आवश्यकता होती है।इसे  l द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है।
l के मान मुख्य क्वांटम संख्या(n) पर निर्भर करता है। n के किसी मान के लिए l के कुल उतने है मान 0 से n-1 तक होते है। l के संभावित मान 0,1,2,3....हो सकते है।
यदि l=0 तब वह s subshell कहलाता है,यदि l = 1 tab वह p subshell, l=2 then d subshell and l=3 then d subshell होता है।

n= 1 के लिए l का मान 0 से n-1 तक होता है अतः n=1 अर्थात प्रथम कोश के लिए l = 0 होता है अर्थात प्रथम कोश में एक उप कोश s होता है।
n=2 के लिए l का मान 0 और 1 होता है अर्थात द्वितीय कोश में दो उप कोश s और p subshell होता है।
n= 3 के लिए l का मान 0,1 तथा 2 होता है अर्थात तृतीय कोश में तीन उप कोश होते है अर्थात s,p और d subshell होते है।
विभिन्न उप कोशो को s,p,d और f द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है जिसका पूरा नाम sharp,principal,diffuse aur fundamental होता है।
s subshell का आकार spherical (वृत्ताकार),p sabshell का आकार डंबल होता है, d subshell का आकार double dumb bell होता है।

Magnetic quantum number;

यह क्वांटम संख्या कक्षक के अभिविन्यास के बारे में बताता है।यह मुख्यत कक्षक के बारे में बताता है।
इसका मान -l से +l होता है जिसका सूत्र 2l+1 होता है।
l=0 अर्थात s उप कोश के लिए m का सिर्फ एक मान 0 होता है।
l=1 के लिए m के मान 2×1+1=3 होता है जिसका मान -l से +l तक ( -1,0,+1) होता है।
l=2 के लिए m का मान 2×2+1=5 होता है अर्थात -2,-1,0,+1,+2 होता है।
यह क्वांटम संख्या कक्षक के बारे में जानकारी देती है।
l=0 अर्थात s subshell में m=0 अर्थात केवल एक कक्षक  होता है। l=1 अर्थात p subshell के लिए m=3 होता है अर्थात p subshell me तीन कक्षक होते है।
इसी तरह d subshell mein 5 कक्षक होते है तथा f subshell me 7 कक्षक होते है।

 Spin quantum number;

यह क्वांटम संख्या यह बताता है कि किसी कक्षक में केवल दो इलेक्ट्रॉन हो सकते है जिसके चक्रण विपरीत होते है।यदि एक इलेक्ट्रॉन का चक्रण +1/2 हो तो दूसरा इलेक्ट्रॉन का चक्रण -1/2 होगा।यदि पहले इलेक्ट्रॉन का चक्रण -1/2 हो तो दूसरे इलेक्ट्रॉन का चक्रण +1/2 होगा।

जैसे तीसरे कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।
तीसरे कोश अर्थात n=3 के लिए l के मान 0,1,2 होगा। l=0 के लिए m का मान 0 होगा अर्थात सिर्फ एक कक्षक होगा जिसमें दो इलेक्ट्रॉन भरे होते है।
l=1 के लिए m का मान तीन होता है(-1,0,+1) अर्थात तीन कक्षक होता है जिसमें 6 इलेक्ट्रॉन भरे होते है।
l=2 के लिए m का मान (-2,-1,0,+1,+2) होता है अर्थात 5 कक्षक होते है जिसमें 10 इलेक्ट्रॉन होते है।
अतः तीसरे कोश में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या 2+6+10=18 होगा।

Question; n=2, l=1, m=0, mein इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।

n=2 में l=1 m=3(-1,0,+1) अर्थात तीन कक्षक होते है।तथा प्रत्येक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है। अतः m=0 me 2 electron होगा।

Question; n=4 mein इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।

n=4 अर्थात चौथे कोश के लिए l का मान 0,1,2 होता है। l=0 के लिए m का मान 0 होता है अर्थात s उपकोष में केवल एक कक्षक होते है जिसमें अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन होते है।
l =1 के लिए m का मान 3(-1,0,+1) होता है अर्थात p subshell mein 3 कक्षक होते है जिसमें 6 इलेक्ट्रॉन भरे जाते है।
l=2 के लिए m का मान 5(-2,-1,0,+1,+2) होता है अर्थात d subshell me 5 कक्षक होते है जिसमें अधिकतम 10 इलेक्ट्रॉन भरे होते है।
l= 3 के लिए m का मान 7(-3,-2,-1,0,+1,+2,+3)होता है जिसमें 14 इलेक्ट्रॉन भराए जाते है।
अतः चौथे कोश में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या 2+6+10+14=32 होगा।

Question; n=2, l=1, m=+1 me इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।

n=2 अर्थात दूसरे कोश के लिए l का मान 0,1 होता है।l=1 अर्थात p कक्षक के लिए m का मान तीन (-1,0,+1) होता है अर्थात p subshell me ३ कक्षक होते है।जिसमें प्रत्येक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है।अतः m=0 me 2 electron Hoga।
अतः दूसरे कोश के p subshell के लिए एक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होगा।

Must see;




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