Wednesday, 12 June 2019

Ionisation energy। Ionisation energy in hindi। Factors affecting ionisation energy। Trends in periodic table। Ionisation energy question answer। Successive ionisation energy।

IONISATION ENERGY/POTENTIAL (आयनिकरण ऊर्जा):

किसी isolated, उदासीन,gaseous परमाणु से उसके सन्योजी कक्ष में उपस्थित ढीले बंधे इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा को ionisation energy कहते है।
IONISATION ENERGY के लिए परमाणु को gaseous अवस्था में होना चाहिए क्योंकि ठोस अवस्था में परमाणु की बहुत से गुणों में कमी आ जाती है।परमाणु को isolated तथा उदासीन होना आवश्यक है।

X+energy = cation(x+)+electron

जहां X = एटम या molecule जिसका आयनिकरण होता है जिसे एनर्जी दिया जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकलने पर धनायन(cation) का निर्माण होता है।
Thermodynamics में दो process है एक exothermic process जिसमें heat release होता है तथा एक endothermic process जिसमें heat absorb होता है।

IONISATION ENERGY endothermic process है जिसमें उस्मा का अवशोषण होता है हमे एनर्जी देनी पड़ती है इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए।

Successive ionisation energy (उत्तरोत्तर आयनिक ऊर्जा)

X + energy = cation  X+ + electron (IE first)
 X+  + Energy = X2+ + electron (IE second)
X2+ + energy =  X3+ + electron ( IE Third)


IE first < IE second <IE third

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब किसी परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन निकाला जाता है तब शेष इलेक्ट्रॉन नाभिक से ज्यादा आकर्षित हो जाते है,नाभिक 
द्वारा इलेक्ट्रॉन पर electrostatic force of attraction लगता है जिससे द्वितीय इलेक्ट्रॉन
निकालना ज्यादा कठिन हो जाता है जिससे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।इसलिए तृतीय,द्वितीय ionisation energy,प्रथम ionisation energy से ज्यादा होता है।

 Factors affecting ionisation energy (आयनिकरण ऊर्जा को प्रभावित करने वाला कारक):

ATOMIC SIZE (परमाणु आकार):

परमाणु का आकर जितना छोटा होता है,आयनीकरण  ऊर्जा उतना ज्यादा होता है क्योंकि आकार छोटा होने से कोशो की संख्या कम
हो जाती है जिससे इलेक्ट्रॉन नाभिक के अधिक पास होता है जिससे इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक विद्युत आकर्षण बल से
बंधा हुआ होता है,जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है।
यदि परमाणु आकार बड़ा हो तब ionisation energy कम होता है क्योंकि परमाणु का आकर अधिक होने से
सन्योजी इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का प्रभाव कम होता जिससे बाह्य कोश से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

जैसे sodium aur Rubidium मे Rubidium की ionisation energy,sodium से कम होती है क्योंकि Rubidium की परमाणु आकार सोडियम से ज्यादा होती है।

NUCLEAR CHARGE( नाभिकीय आवेश);

किसी परमाणु में जितना ज्यादा नाभिकीय आवेश होता है,उससे इलेक्ट्रॉन निकालना उतना ज्यादा कठिन होता है
अर्थात अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि
नाभिक में ज्यादा आवेश होने पर प्रोटॉन की संख्या बढ़ जाती है,प्रोटॉन में धनात्मक आवेश होता है जिससे बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉन
पर नाभिक ज्यादा आकर्षण बल लगाता है जिससे ionisation energy अधिक होती है।
जैसे कि ऑक्सीजन और फ्लोरीन की तुलना में fluorin की ionisation energy अधिक होती है क्योंकि फ्लोरीन में 
नाभिकीय आवेश अधिक होता है ।

HALF FILLED/FULL FILLED ORBITALS (पूर्ण पुरीत या अर्धपूरित कक्षक)
पूर्णपूरित या आर्धपूरित कक्षक से इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए ionisation energy ज्यादा होती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो कक्षक full filled होते है वो कक्षक स्टेबल होता है जो अपना इलेक्ट्रॉन नहीं खोना चाहता जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन हो जाता है।
तथा जो कक्षक half filled होते है वो भी स्टेबल हो जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना आसान नहीं होता,अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

PENUTRATION (भेदन क्षमता)

Ionisation energy भेदन क्षमता पर निर्भर करता है। भेदन क्षमता F<D<P<S इस क्रम में होती है अर्थात S कक्षक की penutration पॉवर ज्यादा होती जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है क्योंकि S कक्षक नाभिक के अधिक पास होता है तथा S कक्षक का आकार भी छोटा होता है।

TRENDS OF IONISATION ENERGY IN PERIODIC TABLE(ionisation energy की आवर्त सारणी में प्रवृत्ति)

ALONG A PERIOD:

PERIOD में बाएं से दाएं चलने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है तथा परमाणु का आकर कम भी होता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण अधिक होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे ionisation energy बढ़ता है।
जैसे हाइड्रोजन और हीलियम में हीलियम की ionisation energy अधिक होती है,क्योंकि बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं।

Question: द्वितीय आवर्त के तत्वों को बढ़ते हुए ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation energy भी बढ़ती है अतः इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए संभावित क्रम Li<Be<B<C<N<O<F<Ne होनी चाहिए लेकिन इसके कुछ अपवाद है जैसे नाइट्रोजन की half filled कक्षक के कारण नाइट्रोजन का ionisation energy oxygen से ज्यादा होता है तथा बेरेलियम की ionisation energy boron से ज्यादा होती  हैं क्योंकि बोरोन के p कक्षक में सिर्फ एक इलेक्ट्रॉन होता है जिसे आसानी से निकाला जा सकता है जबकि बरेलियम की s कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है जिसे निकालना उतना आसान नहीं है।
अतः ionisation energy का बढ़ता क्रम Li<B<Be<C<O<N<F<Ne

Question: तीसरे आवर्त के त्वों को ionisation energy के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation energy भी बढ़ती है।अतः संभावित क्रम Na<Mg<Al<Si<P<S<Cl<Ar होना चाहिए मगर isme कुछ अपवाद है
जैसे फास्फोरस का ionisation energy sulphur से ज्यादा होती है क्योंकि फास्फोरस का स्टेबल इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है,तथा magnesium की ionisation energy aluminium से ज्यादा होती है क्योंकि s कक्षक का penutration ज्यादा होता है। Argon ki ionisation energy सबसे ज्यादा होती है क्योंकि यह एक नोबल गैस है जिसका अस्टक पूर्ण होता है तथा अत्यधिक स्थाई होता है।अतः क्रम Na<Al<Mg<Si<S<P<Cl<Ar

Down the group:

समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिसे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम होता है जिससे ionisation energy कम होता है।जैसे प्रथम समूह के तत्वों का ionisation energy Cs<Rb<K<Na<Li के क्रम में होता है।प्रथम समूह में लिथियम की ionisation energy सर्वाधिक होती है क्योंकि लिथियम का आकार छोटा होता है।

पूरे आवर्त सारणी में सीजियम की ionisation energy सबसे कम होती है।


दूसरे समूह के तत्वों को बढ़ते हुए ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

जैसे जैसे समूह में नीचे जाते है,परमाणु आकार बढ़ता जाता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम होता जाता है जिससे कम ऊर्जा देने पर ही बाह्य इलेक्ट्रॉन को आसानी से निकाला जा सकता है अर्थात समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ionisation energy Kam होता जाता है।अतः दूसरे समूह के तत्वों की ionisation energy का ‌क्रम Ba<Sr<Ca<Mg<Be होता है।

तेरहवें समूह के तत्वों को ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ionisation energy कम होता जाता है।अतः क्रम Thalium<Indium<Galium<Aluminium<Boron होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है क्योंकि इस समूह में कुछ अपवाद है।Thalium में f कक्षक में इलेक्ट्रॉन भराया जाता है जो lanthenoids तत्वों के बाद आता है जिससे Lanthenoid contraction होता है जिससे परमाणु का आकार छोटा हो जाता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।Indium में भी D-D ट्रांजिशन(संक्रमण) होता है क्योंकि इंडियम में d कक्षक में इलेक्ट्रॉन भराया जाता है इसलिए आकार घट जाता है तथा इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः क्रम Galium<Aluminium<Indium<Thalium<Boron होता है

Lanthenoid contraction:  Kisi भी परमाणु के मध्य में नाभिक होता है तथा नाभिक के बार कई कक्षक होते है जिसमें इलेक्ट्रॉन घूमते रहता है।बाह्य इलेक्ट्रॉन को अंदर वाले कक्षक के इलेक्ट्रॉन नाभिक के आकर्षण से बचाता है अर्थात कम करता है जिसे परिरक्षण प्रभाव (shielding effect)कहते हैं। Shielding effect का क्रम F<D<P<S होता है अर्थात s कक्षक की shielding effect सबसे ज्यादा तथा F कक्षक की shielding effect सबसे कम होती है। जो तत्व Lanthenoid समूह में आते है उनमें इलेक्ट्रॉन f कक्षक में प्रवेश करता है जो बाह्य इलेक्ट्रॉन को नाभिक के आकर्षण से बचा नहीं पाता जिससे परमाणु का आकार कम हो जाता है,बाह्य कोश नाभिक की ओर संकुचित हो जाता है जिसे Lanthenoid contraction कहते है।

चौदहवे समूह के तत्वों को ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

नीचे जाने पर Pb(lead) me Lanthenoid contraction होता है जिससे Pb का ionisation energy Sn(Tin) से ज्यादा होता है अतः क्रम Sn<Pb<Ge<Si<C होता है।

Question: nitrogen and oxygen ki प्रथम और द्वितीय ionisation energy की तुलना कीजिए।

नाइट्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P3 होता है
ऑक्सीजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P4 होता जिसके अनुसार पहले इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अर्थात प्रथम ionisation energy nitrogen ki ज्यादा होती है क्योंकि नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्टेबल होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन हो जाता है।
अब प्रथम इलेक्ट्रॉन निकलने के बाद नाइट्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P2 होता है तथा ऑक्सीजन का विन्यास 1S2,2S2,2P3 हो जाता है जिससे दूसरा इलेक्ट्रॉन निकालना ऑक्सीजन से कठिन हो जाता है क्योंकि अब ऑक्सीजन का विन्यास स्टेबल होता है।
अतः नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की तुलना करने पर प्रथम ionisation energy nitrogen ki अधिक होती है तथा द्वितीय ionisation energy oxygen ki अधिक होती है।

Zinc और कॉपर की प्रथम और द्वितीय ionisation energy ki तुलना कीजिए।

Zinc का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S2 होता है तथा कॉपर का विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S1 होता है।इन दोनों में से zinc से प्रथम इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है क्योंकि zinc का नाभिकीय आवेश ज्यादा है। अब प्रथम इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात ज़िंक की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास  1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S1 हो जाता है तथा कॉपर का विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S0  होता है।अब द्वितीय इलेक्ट्रॉन निकालना कॉपर से कठिन हो जाता ।है क्योंकि अब कॉपर का विन्यास स्टेबल हो जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन हो जाता है।
अतः ज़िंक और कॉपर में प्रथम ionisation energy zinc ki अधिक तथा द्वितीय ionisation energy copper ki अधिक होता है।

Application of ionisation energy

Metals and non metals:

Metals: धातु वे होते है जो आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग सकते है।अतः वे सभी तत्व जिनकी ionisation energy low होती है,कम ऊर्जा देने पर इलेक्ट्रॉन निकल जाता है वे धातु कहलाते हैं।
Non metals: वे सभी तत्व जो आसानी से इलेक्ट्रॉन नहीं त्यागते,इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है,जिनकी ionisation energy अधिक होती है वे सभी तत्व अधातू कहलाते है।
समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिससे ionisation energy low होती हैं जिससे धात्विक गुण बढ़ता है तथा आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर धातविक गुण कम होता है।
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है जिससे ionisation energy बढ़ता है तथा अधात्विक गुण बढ़ता है।

Acidic and Basic character

Metals के ऑक्साइड्स क्षारीय प्रकृति के होते है अतः समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ionisation energy low होती है जिससे metallic character बढ़ता है जिससे इनकी oxides के क्षारीय प्रकृति बढ़ती है तथा आवर्त में चलने पर metallic character low होता है जिससे क्षारीय character low होता है 

Non metals के oxides अम्लीय प्रकृति के होते है।आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर non metallic character बढ़ता है जिससे अम्लीय प्रकृति बढ़ती है। तथा समूह में नीचे जाने पर अम्लीय प्रकृति कम होती है।

Question; metallic character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए। Na,Mg,Al,Si

Ans:आवर्त में बाएं से दाए चलने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है जिससे आयनीionisa energy low होता है जिससे metallic character low होता है अतः क्रम Si<Al<Mg<Na है।

प्रश्न; non metallic character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए। F,Cl,Br,I

Ans: समूह में नीचे जाने पर non metallic character low होता है अतः क्रम  I<Br<Cl<F Hoga

प्रश्न: इन oxides को क्षारीय क्रम में व्यवस्थित कीजिए। Na2O,K2O,Rb2O,Cs2O

समूह में नीचे जाने पर ionisation energy low होती है जिससे metallic character बढ़ता है जिससे क्षारीय प्रकृति बढ़ती है। अतः क्रम Na2O<K2O<Rb2O,Cs2O होगा।

प्रश्न: अम्लीय प्रकृति के क्रम में व्यवस्थित कीजिए। Na2O,MgO,Al2O3,SiO2,N2O5

आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर ionisation एनर्जी
बढ़ता है जिससे non metallic character बढ़ता है जिससे अम्लीय प्रकृति बढ़ती है अतः क्रम Na2O<MgO<Al2O3<SiO2<N2O5 hoga



Thanks for reading 🙏🙏🙏keep study and stay blessed students 🤗






0 comments:

Post a Comment