Ionic Bond (आयनिक बंध)
यह बंध दो परमाणु के बीच इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण से बनता है। इसमें एक परमाणु इलेक्ट्रॉन त्यागता है तथा दूसरा ग्रहण करता है।जो इलेक्ट्रॉन त्यागता है उसे धातु कहते है तथा जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है उसे अधातु कहते है।
अर्थात Ionic Bond metals और non metals के बीच बनता है।
अायनिक बंध क्यों बनता है?
जिस परमाणु के बाह्य कोश में आठ इलेक्ट्रॉन होता है,अर्थात जिसका अष्टक पूर्ण होता है वे बहुत स्टेबल होते है,क्रिया नहीं करते। अट्ठारहवें समूह के सभी तत्वों के अष्टक पूर्ण होते हैं जिससे वे बहुत स्टेबल होते है,अभिक्रिया नहीं करते इसलिए इस समूह के तत्वों को inert gases भी कहते है क्योंकि ये सभी तत्व गैस होते है। इसलिए सभी तत्व inert gases के समान स्टेबल होने के लिए,अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए इलेक्ट्रॉन को त्यागने की या ग्रहण करने की या शेयर करने की प्रवृत्ति रखते है।
Examples;
क्लोरीन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 होता है जिसके बाह्य कोश में सात इलेक्ट्रॉन है।chlorine एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके आसानी से अपना अष्टक पूर्ण कर सकता है। सोडियम का विन्यास 2,8,1 होता है जो एक इलेक्ट्रॉन त्याग कर अपना अष्टक पूर्ण कर सकता है।अतः सोडियम इलेक्ट्रॉन त्याग कर Na^+(sodium ion) बनाता है तथा क्लोरीन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके Cl^-(chloride ion) बनाता है।धनायन और ऋणायन में आकर्षण बल के कारण दोनों जुड़ जाते है जिससे Ionic Bond के निर्माण होता है। इस बंध को electrovalent बंध भी कहते है क्योंकि यह बंध धनायन और ऋणायन में स्थिर विद्युत आकर्षण बल के कारण बनता है।
परमाणु अपना इलेक्ट्रॉन त्यागकर या ग्रहण करके स्टेबल हो जाते है लेकिन जब दोनों परमाणु आपस में मिलकर बंध बनाते है तब ज्यादा स्टेबल यौगिक बनता है क्योंकि धनायन और ऋणायन गैसीय अवस्था में होते है,पर जब दोनों पास आके यौगिक बनाते है तब ठोस अवस्था में आ जाते है जिससे ज्यादा स्टेबल हो जाते है।
परमाणु अपना इलेक्ट्रॉन त्यागकर या ग्रहण करके स्टेबल हो जाते है लेकिन जब दोनों परमाणु आपस में मिलकर बंध बनाते है तब ज्यादा स्टेबल यौगिक बनता है क्योंकि धनायन और ऋणायन गैसीय अवस्था में होते है,पर जब दोनों पास आके यौगिक बनाते है तब ठोस अवस्था में आ जाते है जिससे ज्यादा स्टेबल हो जाते है।
Electrovalency:
कोई परमाणु अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए जितने इलेक्ट्रॉन त्यागता है या ग्रहण करता है वहीं उसका electrovalency कहलाता है।
जैसे प्रथम समूह के सभी तत्व एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर अपना अष्टक पूर्ण करते है अतः इनकी electrovalency एक होती है। द्वितीय समूह के तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए दो इलेक्ट्रॉन त्यागते है इसलिए इनकी electrovalency दो होती है।
तेरहवें समूह के तत्वों की electrovalency तीन होती है क्योंकि ये तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए तीन इलेक्ट्रॉन का त्याग करते है। चौदहवे समूह के तत्व बा तो इलेक्ट्रॉन त्यागते है ना ही ग्रहण करते है बल्कि ये तत्व शेयर करके covalent bond बनाते है।
15 वे समूह के तत्वों का electrovalency तीन होता है क्योंकि ये तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए तीन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है।
सोलहवे समूह के तत्वों का electrovalency दो होती है क्योंकि ये अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते है।
17 वे समूह के तत्वों का electrovalency एक होता है क्योंकि ये सभी तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते है।
Electrovalency कभी ऋणात्मक नहीं होती।
तीसरे समूह से बारहवें समूह तक के तत्वों का electrovalency के मान निश्चित नहीं होता है क्योंकि इनकी परिवर्तनीय electrovalency होती हैं
Energy terms involved in Ionic bond;
Ionic Bond के निर्माण में निम्न ऊर्जा के पदों का समावेश होता है
Ionisation energy;
जिसकी ionisation energy कम होती है वे आसानी से इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाता है।
धातुओं की ionisation energy कम होती है तथा समूह में नीचे जाने पर ionisation energy low होता है।
Electron affinity;
Jo परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऊर्जा बाहर निकालती है वे ज्यादा स्टेबल होते है क्योंकि उनकी ऊर्जा कम होती है। Non metals के इलेक्ट्रॉन affinity अधिक होती है अतः जल्दी ऋणायन बनता है।
Lattice energy;
एक मोल gaseous धनायन और gaseous ऋणायन मिलकर जब यौगिक बनाते है तब जितनी ऊर्जा बाहर निकलती है उसे Lattice energy कहते है। जितना ज्यादा ऊर्जा बाहर निकलता है,यौगिक की ऊर्जा उतना कम होता है तथा यौगिक उतना ज्यादा स्टेबल होता है
Properties of Ionic Bond:
Physical State;
Ionic बंध ठोस अवस्था में पाए जाते है क्योंकि Ionic बंध में यौगिक बहुत स्थिर विद्युत आकर्षण बल से जुड़े होते है जिससे उसके अणु अधिक पास पास होते है
Boiling point and melting point;
Ionic बंध की melting and boiling point बहुत ही ज्यादा होता है।Ionic बंध वाले यौगिक में अणु बहुत अधिक आकर्षण बल से जुड़े होते हैं जिसे boil और melt करना आसान नहीं होता।
Solubility:
Ionic बंध वाले यौगिक पानी में बहुत soluble होते है। यौगिक को पानी में डालने पर ये अपने आयन में टूट जाते हैं।
Conductivity:
Ionic बंध वाले यौगिक ठोस अवस्था में तो विद्युत के अच्छे चालक नहीं होते क्योंकि ठोस अवस्था में आयन गति करने के लिए मुक्त नहीं होते है (विद्युत धारा आयन के गति से ही उत्पन्न होता है)। लेकिन जब इन यौगिक को गलित अवस्था या जलिय अवस्था में लाया जाता है तब ये विद्युत के अच्छे चालक हो जाते है क्योंकि आयन गति करने के लिए स्वतंत्र हो जाते है।
Crystal Structure;
Ionic बंध वाले यौगिक ठोस अवस्था में पाए जाते है तथा ठोस की क्रिस्टल संरचना काफी मजबूत होती है।ये यौगिक के अणु अधिक पास पास होते है।जिससे HCP, CCP संरचना होती है।
Chemical reaction;
Ionic बंध वाले यौगिक की क्रियाएं बहुत तेज होता है।ये बहुत जल्दी अभिक्रिया कर लेते है तथा precipitation बनाते है।
Question; सबसे ज्यादा Ionic character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।(NaCl,KCl,RbCl,CsCl)
Ans; सबसे मजबूत Ionic बंध बनने के लिए धातु की ionisation एनर्जी कम होनी चाहिए तथा non metals के इलेक्ट्रॉन affinity अधिक होनी चाहिए।(Ionic बंध metals और non metals के बीच बनता है)।समूह में नीचे जाने पर धातु के ionisation एनर्जी कम होती है तथा आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर बढ़ता है।non metals के इलेक्ट्रॉन affinity समूह में कम होती जाती है तथा आवर्त में बढ़ता है।
अतः प्रथम समूह में Cesium के ionisation एनर्जी सबसे कम होती है इसलिए Ionic बंध का क्रम CsCl>RbCl>KCl>NaCl होगा।
Question: NaF,NaCl,NaBr,NaI को Ionic बंध के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
इन यौगिक में धातु समान है। Ionic bandh के मजबूत होने के लिए non metals केelectron affinity अधिक होनी चाहिए। इलेक्ट्रॉन affinity Ka क्रम F>Cl>Br>I होता है अतः Ionic bandh Ka क्रम NaF>NaCl>NaBr>NaI होगा
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