Friday, 28 June 2019

Bond Angle। Bond parameter। Bond Angle in hindi। Bond Angle IIT NEET। Bond Angle question Answer। Tricks for Bond Angle। #Bondangle

Bond Angle:

किसी अणु के केंद्रीय परमाणु के दो बंध के बीच बने angle को बंध कोण Bond Angle कहते है।

Finding Bond Angle:

Step 1: Hybridisation of Central Atom:


अगर किसी अणु में केंद्रीय परमाणु की संकरण SP3 होता है तो उसकी बंध कोण 109°28" होती है। अगर संकरण SP2 होती है तब बंध कोण 120° तथा SP संकरण में बंध कोण 180° होती है।

Step2: Lone pair on Central Atom;

जब अणु में केंद्रीय परमाणु की संकरण समान हो तब उसमें उपस्थिति lone pair से बंध कोण का पता करते है। 
केंद्रीय परमाणु में जितना ज्यादा lone pair होता है बंध कोण उतना ज्यादा कम होता है क्योंकि VSEPR सिद्धांत के अनुसार repulsion lone pair lone pair सबसे ज्यादा होता है तथा lone pair bond pair  mein उससे कम तथा bond pair bond pair me सबसे कम होता है। जब repulsion होता है तब lone pair वाले बंध फैल जाते है जिससे bond pair bond pair वाले बंध दब जाते है जिससे बंध कोण कम हो जाता है।

Step 3: Electronegativity of Central Atom;

यदि अणु में केंद्रीय परमाणु की संकरण समान हो तथा उसमें lone pair ki संख्या भी समान हो तब केंद्रीय परमाणु की electronegativity SE बंध कोण का पता चलता है। यदि केंद्रीय परमाणु से जुड़े हुए surrounding atom समान हो तब central atom ki electronegativity जितना अधिक होता है बंध कोण उतना ज्यादा होता है क्योंकि central atom ki electronegativity अधिक होने पर बंध के इलेक्ट्रॉन को central atom apni तरफ खीचता है जिससे central atom par electron घनत्व अधिक हो जाती है जिससे इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन repulsion होता है जिससे बंध फैल जाता है जिससे बंध कोण बढ़ जाती है।

Step4; Electronegativity of Surrounding Atom;

यदि केंद्रीय परमाणु के संकरण समान हो तथा लोनl pair भी समान हो तथा अगर central atom समान हो तथा surrounding atom different हो तब surrounding atom ki electronegativity जितना अधिक होती है बंध कोण उतना कम होता है क्योंकि surrounding atom ki electronegativity अधिक होने पर बंध के इलेक्ट्रॉन को ज्यादा खीच लेता है उससे कम electronegativity के एटम ज्यादा नहीं खीच पाते जिससे इलेक्ट्रॉन घनत्व कम electronegativity वाले एटम पर बढ़ जाती है जिससे इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन repulsion होता है जिससे बंध कोण कम electronegativity वाले परमाणु पर बढ़ जाती है 

Question: BeCl2, BCl3, CCl4 को बंध कोण के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans; CCl4<BCl3<BeCl2
क्योंकि CCl4 में कार्बन की संकरण SP3 होता है जिससे बंध कोण 109° होता है तथा BCl3 की संकरण SP2 होता है जिससे उसकी बंध कोण 120° होता है तथा BeCl2 की संकरण SP होता है जिसकी बंध कोण 180° होता है।

Question; NO2^+, NO2^- बंध क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans: NO2^+>NO2^-
क्योंकि NO2^+ में केंद्रीय परमाणु की संकरण SP होता है जिसमें lone pair ki संख्या शून्य होती है तथा  NO2^- की संकरण SP2 होती है जिससे SP संकरण का बंध कोण SP2 से अधिक होती है।

Question; CH4, NH3, H2O को बंध क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans; CH4>NH3>H2O
क्योंकि सभी में संकरण समान है सभी SP3 संकरीत है। CH4 में lone pair Nahi है तथा NH3, H2O के लोन pair क्रमशः 1 and 2 है। जितना ज्यादा lone pair उपस्थित होते है उसकी बंध कोण उतना कम होती है क्योंकि repulsion बढ़ता है जिससे बंध फैलता जाता है।

Question: SO3 & SO2 को बंध कोण के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans:. SO3> SO2
क्योंकि SO3 की संकरण SP2 है तथा SO2 की संकरण भी SP2 है। संकरण समान है लेकिन SO3 में कोई लोन pair Nahi है तथा SO2 में एक लोन pair है। लोन pair hone par बंध कोण कम होता है।

Question; NH3 & PH3 को बंध कोण के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans:  NH3>PH3 
क्योंकि दोनों की संकरण समान है SP3 संकरीत है तथा दोनों में लोन pair भी समान है। Surrounding atom समान है तथा नाइट्रोजन की electronegativity, phosphorus SE अधिक होती है। अतः NH3 के बंध कोण PH3 से अधिक होती है क्योंकि electronegativity अधिक होने पर बंध के इलेक्ट्रॉन central atom के तरफ ज्यादा खीच जाती है जिससे इलेक्ट्रॉन electron repulsion बढ़ता है जिससे बंध कोण बढ़त है।

NH3>PH3>AsH3>SbH3 


Question; H20 & H2S को बंध कोण के क्रम में व्यवस्थित कीजिए

Ans:.  H20> H2S
SAME REASON

H20>H2S>H2Se>H2Te


Question: COF2, COCl2, COBr2, COI2 को बंध कोण के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

COF2< COCl2<COBr2<COI2
 क्योंकि सभी में कार्बन की संकरण SP2 है तथा  सभी में लोन pair भी शून्य है। Central Atom same है लेकिन surrounding atom different है। Surrounding atom ki electronegativity जितना ज्यादा होता है उसकी बंध कोण उतना कम होता है।इसी तरह SOF2<SOCl2<SOBr2<SOI2

QUESTION:  H20 & CH3-O-CH3 

ans; H20<CH3-O-CH3
क्योंकि CH3 एक bulky समूह है जिसमें repulsion बहुत अधिक होता है जिससे बंध कोण बढ़ता है।

Wednesday, 26 June 2019

Electronegativity। Electronegativity IIT NEET। Electronegativity in hindi। Factors affecting Electronegativity। Application of electronegativity

Electronegativity:

किसी covalent बंध के इलेक्ट्रॉन को अपने तरफ आकर्षित करना electronegativity कहलाता है। जो परमाणु ज्यादा विद्युत ऋणात्मक होते है वे covalent बंध के इलेक्ट्रॉन को अपने तरफ आकर्षित करते है जिससे बंध में आंशिक आवेश उत्पन्न हो जाता है।जो परमाणु अपने तरफ इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करते है उस पर आंशिक negative charge उत्पन्न हो जाता है।
जैसे H-Cl एक covalent बंध है जिसमें chlorine jyada electronegativity परमाणु है।अतः chlorine बंध के इलेक्ट्रॉन को अपनी तरफ आकर्षित करते है जिससे इसमें आंशिक आवेश उत्पन्न हो जाता है।

Factors affecting Electronegativity;

1.Atomic Size;

परमाणु का आकार छोटा होने पर उसकी Electronegativity अधिक होती है क्योंकि आकार छोटा होने पर उसमें आवेश बहुत ज्यादा और पास पास होते है जिससे उसकी इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
परमाणु का आकार बड़ा होने पर उसमें कोशो की संख्या बढ़ जाती है जिससे नाभिक और बाह्य कोश की दूरी बढ़ जाती है जिससे इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की क्षमता कम हो जाती है अर्थात electronegativity कम हो जाती है।

Nuclear Charge;

Kisi परमाणु में जितना ज्यादा नाभिकीय आवेश होता है उसकी विद्युत ऋणात्मकता उतनी अधिक होती है क्योंकि किसी परमाणु में नाभिकीय आवेश अधिक होने पर उसकी इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है जिससे electronegativity बढ़ जाती है।

3. Charge on Cation;

किसी परमाणु में जितना ज्यादा धनात्मक आवेश होता है उसकी इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की क्षमता उतनी अधिक होती है। जैसे Mn^2+, Mn^4+ में Mn^4+ की विद्युत ऋणात्मकता अधिक होती है।

4. Charge on Anion; 

Kisi परमाणु में जितना ज्यादा ऋणायन होता है उसकी इलेक्ट्रॉन को आकर्षित करने की क्षमता उतनी कम होती है क्योंकि नेगेटिव आवेश अधिक होने का मतलब उसमे इलेक्ट्रॉन की संख्या अधिक होना है।इलेक्ट्रॉन अधिक होने पर वह इलेक्ट्रॉन को आकर्षित नहीं कर पाता क्योंकि इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन में repulsion होता है।जैसे O^-, O^2-, O^3- में O^3- की electronegativity सबसे कम होती है क्योंकि इसमें नेगेटिव चार्ज अधिक है। तथा O- की electronegativity इनमें अधिक है।

Hybridisation;

Hybridisation mein electronegativity के क्रम SP>SP2>SP3 Hoti है क्योंकि SP hybridisation mein percentage S character अधिक होती है तथा s कक्षक नाभिक के बहुत पास होता है जिससे electronegativity बढ़ जाती है।

Variation in periodic table;

In Period;

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ती है जिससे नाभिक बाह्य इलेक्ट्रॉन को आसानी से आकर्षित करती है जिससे electronegativity बढ़ती है।
Fluorine सर्वाधिक electronegativity atom है।
आवर्त में inert gases के electronegativity बहुत कम होती है।

Down a group;

समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है,जिससे नाभिक बाह्य इलेक्ट्रॉन को आसानी से आकर्षित नहीं कर पाता जिससे electronegativity कम होती जाती है।
Cesium ki electronegativity सबसे कम होती है। 
Electronegativity Ka क्रम  F>O>N>Cl>Br>I>S>C>P>H होता है फ्लोरीन की लगभग 4,oxygen: 3.5, Nitrogen: 3.0, Chlorine:3.0, Br; 2.8, I: 2.5, S:2.5 C;2.5, P:3.1, H; 2.1.

Question: F,Cl,O,N को electronegativity के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

 Ans; F>O>N>Cl 
Fluorine chlorine, oxygen एक ही आवर्त के तत्व है तथा आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर electronegativity बढ़ती है।जिससे फ्लोरीन की electronegativity सबसे अधिक हैं।chlorine समूह में नीचे आता है जिससे इसकी electronegativity Kam Hoti है।

Question; Bi,P,S,Cl को electronegativity के बढ़ते क्रम में व्यवस्थित कीजिए।
Ans;  Bi<P<S<Cl
क्योंकि chlorine और sulphur phosphorus ek hi आवर्त के तत्व है तथा आवर्त में electronegativity बढ़ती है।जबकि bismuth बहुत नीचे आता है समूह में जिससे electronegativity Kam Hoti है।

Application of electronegativity;

Bond Strength;

 Jin परमाणु के बीच electronegativity के अंतर ज्यादा होता है उनकी बंध शक्ति अधिक होती है,उस बंध को तोड़ना आसान नहीं होता बहुत ऊर्जा  की आवश्यकता होती है।
जैसे H-F>H-Cl>H-Br>H-I क्योंकि HF ki बंध शक्ति सबसे अधिक होती है क्योंकि इनकी electronegativity difference jyada Hoti है। F ki Electronegativity 4.0 तथा hydrogen ki electronegativity 2.1 Hoti है जिससे अंतर 1.9 का होता है।

Thaaanks for reading 🙏🙏🙏 students 🤗🤗 keep teaching and keep goimg ahead.


Aur padhiye;

Monday, 24 June 2019

Atomic Radius। Atomic Radius in hindi। Atomic Radius IIT NEET। Ionic radius.

Atomic Radius;


किसी परमाणु के नाभिक से बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉन की दूरी को परमाणु की त्रिज्या कहते है।

वास्तव में यह परिभाषा सही नहीं है,क्योंकि इलेक्ट्रॉन एक तरंग है जो कि 3D mein रहते है।इलेक्ट्रॉन एक तरंग है इसलिए उसकी गति निश्चित नहीं होती अतः परमाणु को त्रिज्या को परिभाषित करने के लिए निम्नलिखित त्रिज्या है;

1. Covalent Radius;

जब दो परमाणु अपने इलेक्ट्रॉन को शेयर करके covalent बंध बनाते है तब दोनों परमाणु के नाभिक के बीच की दूरी का आधा सहसंयोजक त्रिज्या कहलाता है।
Covalent Radius = दो परमाणु के नाभिक की बीच की दूरी/2

2.Wanderwall Radius:

बंधित अवस्था में किसी दो molecules के बीच की दूरी का आधा वांडरवाल त्रिज्या कहलाता है।
जैसे पानी के दो अणुओं H2O and H2O के बीच की दूरी का आधा wandervall radius कहलाता है।

3.Metallic Radius;

धातुओं की crystalline structure Hoti है जिसमें इलेक्ट्रॉन,इलेक्ट्रॉन की मेघ के जैसे उपस्थित होती है।
दो धातु के बीच की दूरी का आधा metallic radius कहलाता है।

Wandervall radius>Metallic radius>Covalent radius

Wandervall radius सबसे बड़ा होता है तथा covalent radius सबसे छोटा होता है क्योंकि covalent radius two परमाणु के बीच शेयर से बनता है तथा उसके कक्षक एक दूसरे पर अतिव्यपित रहते है।

Variation in periodic table;

1. Along a period;

आवर्त में बाएं से दाए जाने पर प्रोटॉन की संख्या बढ़ती है जिससे नाभिकीय आवेश बढ़ती है। नाभिकीय आवेश बढ़ने पर नाभिक का बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉन पर आकर्षण बढ़ता है जिससे परमाणु का आकार छोटा होता जाता है अतः आवर्त में परमाणु का आकार छोटा होता जाता है।
जैसे द्वितीय आवर्त के तत्वों का का आकार निम्नानुसार परिवर्तन होता है।
द्वितीय आवर्त के तत्वों का आकार इस क्रम में होनी चाहिए;
Li>Be>B>C>N>O>F>Ne
क्योंकि आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ती है जिससे परमाणु का आकार छोटा होता जाता है।लेकिन एक अपवाद है क्योंकि Neon ki परमाणु आकार इन सभी तत्वों से ज्यादा होती है क्योंकि Neon एक inert gase है जिसकी wandervall radius Hoti है तथा wandervall radius सबसे बड़ा होता है। बाकी तत्वों में covalent  radius, metallic radius Hoti है। अतः द्वितीय आवर्त के तत्वों का क्रम होगा;
Ne>Li>Be>B>C>N>O>F

Question; H और He mein से किसकी परमाणु त्रिज्या बड़ी होती है?

Ans: Helium ki परमाणु त्रिज्या हाइड्रोजन के परमाणु त्रिज्या से अधिक होती है।
ये दोनों तत्व प्रथम आवर्त के तत्व है तथा आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ती है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बढ़ता है जिससे परमाणु का आकार कम होता है इसलिए क्रम H>He होनी चाहिए लेकिन हीलियम एक inert gas है तथा inert gases के wandervall radius Hoti है जो कि covalent और metallic radius SE बड़ी होती है अतः क्रम He>H hoga।

Down a group;

समूह में नीचे जाने पर परमाणु के कोश में वृद्धि होती है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन की नाभिक से दूरी बढ़ती जाती है जिससे नाभिक बाह्य इलेक्ट्रॉन को ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाते जिससे परमाणु का आकार बढ़ता है।समूह में नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ता जाता है।
जैसे प्रथम समूह के तत्वों का परमाणु आकार Li<Na<K<Rb<Cs होता है क्योंकि समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है।
द्वितीय समूह के तत्वों का परमाणु आकार Be<Mg<Ca<Sr<Ba के क्रम में होता है।

Question; Sc,Ti,V,Cr,Mn,Fe,Co,Ni,Cu,Zn को परमाणु आकार के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

सभी तत्व एक ही आवर्त के तत्व है,आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर परमाणु का आकार कम होता है जिससे परमाणु का आकार लगातार कम होनी चाहिए,लेकिन ऐसा नहीं होता इसमें कुछ अपवाद है।
Sc से Ti तक बाह्य इलेक्ट्रॉन d1,d2,d3 में भरता है।Cr mein electron d5 hota hai. Ab Mn se Zn tak electron d कक्षक mein double hote jate hai jisse electron electron repulsion badhta hai. Sc se Cr tak nuclear charge badhti hai tatha electron electeon repulsion jyada nahi hotii isliye atomic size dicrease hoti hai. Mn se Co takk electron electron repulsion badhta hai tatha nuckean bhi badhta hai jisse atomic size constant ho jaati hai. Ni se Zn tak electron electron repulsion bahut jyada badh jaati hai jo ki nuclear charge se dominating hoti hai jisss parmanu ka aakar badhne lagta hai. Atah kram hoga

Sc>Ti>Zn>Cu>Ni>V>Cr=Mn=Fe( lagbhag samaan)>Co

Question; Sc,Y,La को परमाणु आकार में व्यवस्थित कीजिए।

ये तत्व एक ही समूह के तत्व है तथा  समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है।अतः क्रम होगा Sc<Y<La.

Question; Ti,Zr,Hf को परमाणु के आकार में व्यवस्थित कीजिए।

ये तत्व एक ही समूह के तत्व है अतः समूह में नीचे जाने पर परमाणु आकार बढ़ता है जिससे क्रम Ti<Zr<Hf होनी चाहिए।लेकिन इसमें एक अपवाद होता है क्योंकि Hf Lanthenoid contraction के बाद आता है जिससे इसका आकार बढ़ता नहीं है बल्कि छोटा होता है। Lanthenoid contraction के कारण परमाणु के बाह्य इलेक्ट्रॉन नाभिक की ओर ज्यादा आकर्षित हो जाते है जिससे परमाणु का आकार छोटा हो जाता है जिससे क्रम Ti<Zr=Hf होता है।

Ionic Radius; 

Kisi परमाणु द्वारा एक इलेक्ट्रॉन त्यागने या ग्रहण करने पर उसके नाभिक से बाह्य कोश तक की दूरी को Ionic radius कहते है।
ऋणायन>परमाणु>धनायन
ऋणायन का आकार बड़ा होता है क्योंकि जब परमाणु अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तब उस पर नाभिक का आकर्षण ज्यादा नहीं होता जिससे परमाणु का आकार बढ़ जाता है। या जब किसी परमाणु पर अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन आता है तब इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन repulsion होता है जिससे परमाणु का आकार बढ़ जाता है।
धनायन का आकार छोटा होता है क्योंकि जब परमाणु एक इलेक्ट्रॉन त्यागता है तब शेष इलेक्ट्रॉन नाभिक से बहुत ज्यादा आकर्षित होते है जिससे परमाणु का आकार छोटा होता है।

Variation of ionic radius

Along a period; 

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बढ़ता है जिससे Ionic radius low Hoti है।

Down a group;

समूह में नीचे जाने पर कोशो की संख्या में वृद्धि होती है जिससे आयन का आकार बढ़ता है क्योंकि बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम हो जाता है।

Question; Mn^2+,Mn^4+,Mn^6+ को Ionic radius के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans;  Mn^2+>Mn^4+>Mn^6+ 
Kisi परमाणु पर जितना ज्यादा धनात्मक आवेश होती है उसका आकार उतना कम होती जाती है।क्योंकि किसी परमाणु से इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात शेष इलेक्ट्रॉन नाभिक से बहुत ज्यादा आकर्षित होते है जिससे आकार कम हो जाता है।

Question; N^-1, N^-2, N^-3 को आकार के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans: N^-1<N^-2<N^-3 
क्योंकि किसी परमाणु में जितना ज्यादा ऋणात्मक आवेश होता है उसका आकार उतना बड़ा होता है क्योंकि किसी परमाणु में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन आने से इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन repulsion बढ़ता है जिससे आकार बढ़ता है।

Isoelectronic specie;

Jo तत्व isoelectronic होते है अर्थात जिसके बाह्य कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या समान होती है वे isoelectronic specie कहलाते है। परमाणु का आकार ऐसे species mein Uske परमाणु संख्या के व्युत्क्रमानुपाती होते हैं।
जैसे Na+, Mg2+, Al3+, F-, O2-, N3- के आकार का क्रम इस प्रकार है;
N3->O2->F->Na+>Mg2+>Al3+
क्योंकि किसी परमाणु में अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन आने से इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन repulsion बढ़ता है जिससे आयन का आकार बढ़ जाता है।

Thaaanks for reading 🙏🙏🙏🙏 students 🤗...Be happy always and always smile😊

MUST SEE;



Saturday, 22 June 2019

Covalent character of ionic bond part2। Application of Fazan's rule। Covalent character of ionic bond in hindi

Application of Covalent character in ioniI bond:


1.Solubility;

किसी Ionic बंध में covalent character बढ़ने से उसकी विलेयता कम हो जाती है क्योंकि covalent बंध पानी में ज्यादा soluble नहीं होते।
जैसे कि  Fe(OH)2 और Fe(OH)3 mein Fe पर +3 एवम् +2 आवेश है।आवेश अधिक होने पर covalent character अधिक होती है जिससे solubility कम होती है। अतः Fe(OH)2 ज्यादा soluble है।

AuCl तथा NaCl में, NaCl ज्यादा soluble है क्योंकि दोनों में ऋणायन का आकार तथा आवेश समान है लेकिन Au के बाह्य कोश में 18 इलेक्ट्रॉन होने के कारण इसकी covalent character अधिक होती है जिससे इसकी solubility कम होती है।

2. Melting and boiling point;

Ionic बंध की melting and boiling point बहुत अधिक होती है जबकि covalent बंध की कम होती है।अतः covalent character बढ़ने पर यौगिक की melting and boiling point कम हो जाती है।
जैसे AuBr तथा AuI में AuBr की melting and boiling point jyada है क्योंकि इसकी Ionic character अधिक है। AuI में ऋणायन का आकार अधिक होने के कारण covalent character बढ़ती है जिससे melting and boiling point कम होती है।

3. Colour;

Ionic बंध में covalent character अधिक होने पर उसकी colour nature बढ़ जाती है,अर्थात molecule का कलर रंगीन या डार्क हो जाती है।
जैसे कि PbCl2 and PbCl4 mein PbCl4 darkest colour वाले यौगिक है।क्योंकि यहां धनायन में +4 आवेश है।आवेश अधिक होती पर धनायन, ऋणायन को ज्यादा polarise करते है जिससे covalent character बढ़ती है जिससे colour nature बढ़ती है।

Question; ZnCl2 and NaCl mein किसकी melting and boiling point तथा किसकी विलेयता अधिक है।

ZnCl2 में ज़िंक की बाह्य कोश में 18 इलेक्ट्रॉन होते है जिससे इसकी polarisation power अधिक होती है जिससे covalent character बढ़ती है।covalent character बढ़ने पर विलेयता तथा melting point और boiling point कम हो जाती है अतः NaCl की melting point and boiling point अधिक होती है।

Question; SnCl4 volatile liquid है तथा SnCl2 एक ठोस है। क्यो?

SnCl4 में Sn पर आवेश +4 है तथा SnCl2 में Sn पर आवेश +2 है।धनायन की आवेश अधिक होने पर उसकी polarisation power बढ़ती है जिससे covalent character बढ़ती है।covalent बंध वाले यौगिक Ionic बंध की तुलना में द्रव होते है तथा Ionic बंध वाले यौगिक ठोस होते है अतः SnCl2 एक ठोस तथा SnCl4 volatile liquid Hoti है।

Thanks for reading 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 my dear friends 😊😊😊
Here is link of first part of Fazan's rule;

Covalent nature of Ionic Bond, Fazan's rule part 1

And must see Organic chemistry;

Resonance general organic chemistry

Here is atomic structure topics;

IONISATION ENERGY



Covalent nature of Ionic Bond. Fazan's rule in hindi. Fazan's rule part 1. Covalent nature of Ionic Bond part 1.

Covalent nature of Ionic Bond:

कोई भी बंध शुद्ध Ionic बंध या covalent नहीं होती। Ionic बंध में covalent प्रकृति या covalent बंध में Ionic बंध की प्रकृति आ जाती है।जब धनायन और ऋणायन पास में होते है तब ऋणायन का इलेक्ट्रॉन मेघ धनायन के नाभिक ओर आकर्षित हो जाते है जिससे ऋणायन का आकार बदल जाता है,ऋणायन का विकृतिकरण हो जाता है।यह प्रभाव ऋणायन के कारण धनायन पर भी हो सकता है लेकिन धनायन का आकार ऋणायन से छोटा होता है इसलिए धनायन पर ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ता। ऋणायन के इलेक्ट्रॉन मेघ जब धनायन की ओर आकर्षित होते है तब ऋणायन का विरूपण हो जाता है,जिसे polarisation कहते है। इस कारण ऋणायन के इलेक्ट्रॉन धनायन की तरफ चले जाता है किसी इलेक्ट्रॉन घनत्व बढ़ जाता है।धनायन,ऋणायन को polarise करता है अतः धनायन का polarising power जितना अधिक होगा ऋणायन का विकृतिकरण उतना अधिक होगा। तथा ऋणायन का polarisation जितना ज्यादा होगा Ionic बंध में covalent character उतना ज्यादा होगी।
अतः Ionic बंध में covalent character को समझाने के लिए Fazan ने निम्न नियम दिए जिसे Fazan's नियम कहते है।

Fazan's rule;

1. Size of Cation;

धनायन का आकार जितना छोटा होता है,उसके आवेश बहुत पास पास होता है जिससे वे ऋणायन के इलेक्ट्रॉन घनत्व को ज्यादा आकर्षित करते है जिससे धनायन का polarising power बढ़ता है जिससे ऋणायन का polarisation ज्यादा होता है जिससे Ionic बंध में covalent character बढ़ती है।
जैसे प्रथम समूह के धनायन (Li^+,Na^+,K^+,Rb^+) में polarising power के क्रम Li^+>Na^+>K^+>Rb^+ होगा क्योंकि समूह में नीचे जाने पर आकार बढ़ता है जिससे परमाणु के अंदर आवेश पास पास नहीं होते है जिससे वे इलेक्ट्रॉन मेघ  को ज्यादा आकर्षित नहीं कर पाते।

2.Charge on Cation;

धनायन में जितना ज्यादा आवेश होता है,वे ऋणायन के इलेक्ट्रॉन मेघ को ज्यादा आकर्षित करते है जिससे धनायन का polarising power बढ़ता है जिससे ऋणायन ज्यादा polarised होते है जिससे Ionic बंध में covalent character बढ़ती है।
जैसे NaCl, MgCl2, AlCl3, SiCl4, PCl5 में polarising power का क्रम PCl5>SiCl4>AlCl3>MgCl2>NaCl होगा क्योंकि फास्फोरस पर आवेश +5 है, सिलिकॉन पर आवेश +4 है, एल्युमिनियम पर आवेश +3 है तथा मैग्नेशियम पर आवेश +2 एवम् सोडियम पर आवेश +1 होता है।

Electronic configuration of cation;

यदि धनायन के बाह्य कोश 18 इलेक्ट्रॉन होते है उनकी polarising power सबसे ज्यादा होती है।
जैसे Zn^2+ की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2,2s2,2p6,3s2,3p6,3d10,4s0 होती है।स्पष्ट है कि तीसरे कोश में 18 इलेक्ट्रॉन इलेक्ट्रॉन है( 3s2,3p6,3d10) जिससे इसकी polarising power अधिक होती है जिससे ये ऋणायन के इलेक्ट्रॉन मेघ जो ज्यादा आकर्षित करते है जिससे covalent character बढ़ती है।
Cu^+ की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1s2,2s2,2p6,3s2,3p6,3d10,4s0 होती है जिसमें बाह्य  कोश में 18 इलेक्ट्रॉन उपस्थित है जिससे इसकी polarising power अधिक होती है जिससे covalent character बढ़ती है।
इसी तरह Cd^2+, Hg^2+, Cu^2+, Ag^2+, Au^2+ के बाह्य  कोश में 18 इलेक्ट्रॉन होते है जिससे इनकी polarising power अधिक होती है।

Size of anion;

Anion का आकार अधिक होने पर उसका इलेक्ट्रॉन नाभिक से दूर होते है जो धनायन के नाभिक से आसानी से आकर्षित हो जाते है। ऋणायन का आकार बड़ा होने से उसकी polarisation बढ़ती है जिससे covalent character बढ़ती है।
जैसे CaF2, CaCl2, CaBr2, CaI2 में धनायन का आकार समान है तथा सभी में आवेश भी समान है।लेकिन ऋणायन अलग अलग है,जैसे जैसे ऋणायन का आकार बढ़ता है उसकी polarisation बढ़ती है जिससे covalent character बढ़ती है। अतः क्रम CaF2<CaCl2>CaBr2<CaI2 होगा।यहां CaCl2 की covalent character CaBr2 के तुलना में ज्यादा है क्योंकि क्लोरीन में आवेश factor भी dominating होता है।

Charge on Anion;

ऋणायन में जितना अधिक आवेश होता है,उसका polarisation उतना ज्यादा होता है क्योंकि ऋण आवेश  अधिक होने पर ऋणायन बाह्य इलेक्ट्रॉन को आसानी से प्रतिकर्सित करते है जिससे धनायन के ओर आसानी से आकर्षित हो जाते है,जिससे polarisation बढ़ती है।
जैसे कि NaF एवम् Na2O में Na2O की covalent character NaF के तुलना में अधिक है क्योंकि ऑक्सीजन पर आवेश -२ है तथा फ्लोरीन पर आवेश -१ है आवेश अधिक होने पर polarisation बढ़ती है जिससे covalent character बढ़ती है।

Question;  LiCl, BeCl2, BCl3, CCl4, ko covalent character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans; CCl4>BCl3>BeCl2>LiCl
क्योंकि इन Ionic बंध में ऋणायन समान है तथा सभी परमाणु एक ही आवर्त से है,आवर्त में आकार ज्यादा परिवर्तन नहीं होता। कार्बन में आवेश +4,बोरोन मे आवेश +3, बेरीलियम में आवेश +2 तथा लिथियम में आवेश +1 है।अतः धनायन में आवेश अधिक होने पर ऋणायन को ज्यादा polarise करते है जिससे covalent character बढ़ती है।

Question: NaCl, NaBr, NaF, NaI  ko covalent character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans; NaI>NaBr<NaCl>NaF
क्योंकि Ionic बंध में धनायन सभी में समान है,आवेश भी सभी में समान है।ऋणायन अलग है।ऋणायन का आकार बढ़ने पर polarisation बढ़ती है जिससे covalent character बढ़ती है।

Question: BeO, MgO, CaO, SrO,BaO को covalent character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans; ऋणायन का आकार समान है तथा आवेश ।किमात्रा भी समान है।धनायन का आकार जितना छोटा है उसकी polarising power उतना ज्यादा होती है जिससे covalent character बढ़ती है।अतः क्रम BeO>MgO>CaO>SrO>BaO

Thursday, 20 June 2019

Ionic bond। Ionic bond in hindi। Properties of ionic bond। Electrovalency। Ionic bond question Answer। Ionic bond iit neet

Ionic Bond (आयनिक बंध)

यह बंध दो परमाणु के बीच इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण से बनता है। इसमें एक परमाणु इलेक्ट्रॉन त्यागता है तथा दूसरा ग्रहण करता है।जो इलेक्ट्रॉन त्यागता है उसे धातु कहते है तथा जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है उसे अधातु कहते  है।
अर्थात Ionic Bond metals और non metals के बीच बनता है।

अायनिक बंध क्यों बनता है?

जिस परमाणु के बाह्य कोश में आठ इलेक्ट्रॉन होता है,अर्थात जिसका अष्टक पूर्ण होता है वे बहुत स्टेबल होते है,क्रिया नहीं करते। अट्ठारहवें समूह के सभी तत्वों के अष्टक पूर्ण होते हैं जिससे वे बहुत स्टेबल होते है,अभिक्रिया नहीं करते इसलिए इस समूह के तत्वों को inert gases भी कहते है क्योंकि ये सभी तत्व गैस होते है। इसलिए सभी तत्व inert gases के समान स्टेबल होने के लिए,अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए इलेक्ट्रॉन को त्यागने की या ग्रहण करने की या शेयर करने की प्रवृत्ति रखते है।

Examples;

क्लोरीन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 होता है जिसके बाह्य कोश में सात इलेक्ट्रॉन है।chlorine एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके आसानी से अपना अष्टक पूर्ण कर सकता है। सोडियम का विन्यास 2,8,1 होता है जो एक इलेक्ट्रॉन त्याग कर अपना अष्टक पूर्ण कर सकता है।अतः सोडियम इलेक्ट्रॉन त्याग कर Na^+(sodium ion) बनाता है तथा क्लोरीन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके Cl^-(chloride ion) बनाता है।धनायन और ऋणायन में आकर्षण बल के कारण दोनों जुड़ जाते है जिससे Ionic Bond के निर्माण होता है। इस बंध को electrovalent बंध भी कहते है क्योंकि यह बंध धनायन और ऋणायन में स्थिर विद्युत आकर्षण बल के कारण बनता है।

परमाणु अपना इलेक्ट्रॉन त्यागकर या ग्रहण करके स्टेबल हो जाते है लेकिन जब दोनों परमाणु आपस में मिलकर बंध बनाते है तब ज्यादा स्टेबल यौगिक बनता है क्योंकि धनायन और ऋणायन गैसीय अवस्था में होते है,पर जब दोनों पास आके यौगिक बनाते है तब ठोस अवस्था में आ जाते है जिससे ज्यादा स्टेबल हो जाते है।

Electrovalency:

कोई परमाणु अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए जितने इलेक्ट्रॉन त्यागता है या ग्रहण करता है वहीं उसका electrovalency कहलाता है।
जैसे प्रथम समूह के सभी तत्व एक इलेक्ट्रॉन त्यागकर अपना अष्टक पूर्ण करते है अतः इनकी electrovalency एक होती है। द्वितीय समूह के तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए दो इलेक्ट्रॉन त्यागते है इसलिए इनकी electrovalency दो होती है।
तेरहवें समूह के तत्वों की electrovalency तीन होती है क्योंकि ये तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए तीन इलेक्ट्रॉन का त्याग करते है। चौदहवे समूह के तत्व बा तो इलेक्ट्रॉन त्यागते है ना ही ग्रहण करते है बल्कि ये तत्व शेयर करके covalent bond बनाते है।
15 वे समूह के तत्वों का electrovalency तीन होता है क्योंकि ये तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए तीन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है।
सोलहवे समूह के तत्वों का electrovalency दो होती है क्योंकि ये अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए दो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते है।
17 वे समूह के तत्वों का electrovalency एक होता है क्योंकि ये सभी तत्व अपना अष्टक पूर्ण करने के लिए एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करते है।
Electrovalency कभी ऋणात्मक नहीं होती।
तीसरे समूह से बारहवें समूह तक के तत्वों का electrovalency के मान निश्चित नहीं होता है क्योंकि इनकी परिवर्तनीय electrovalency होती हैं

Energy terms involved in Ionic bond;

Ionic Bond के निर्माण में निम्न ऊर्जा के पदों का समावेश होता है

Ionisation energy;

जिसकी ionisation energy कम होती है वे आसानी से इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाता है।
धातुओं की ionisation energy कम होती है तथा समूह में नीचे जाने पर ionisation energy low होता है।

Electron affinity;

Jo परमाणु इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके ऊर्जा बाहर निकालती है वे ज्यादा स्टेबल होते है क्योंकि उनकी ऊर्जा कम होती है। Non metals के इलेक्ट्रॉन affinity अधिक होती है अतः जल्दी ऋणायन बनता है।

Lattice energy;

एक मोल gaseous धनायन और gaseous ऋणायन मिलकर जब यौगिक बनाते है तब जितनी ऊर्जा बाहर निकलती है उसे Lattice energy कहते है। जितना ज्यादा ऊर्जा बाहर निकलता है,यौगिक की ऊर्जा उतना कम होता है तथा यौगिक उतना ज्यादा स्टेबल होता है 

Properties of Ionic Bond:

Physical State;

Ionic बंध ठोस अवस्था में पाए जाते है क्योंकि Ionic बंध में यौगिक बहुत स्थिर विद्युत आकर्षण बल से जुड़े होते है जिससे उसके अणु अधिक पास पास होते है

Boiling point and melting point;

Ionic बंध की melting and boiling point बहुत ही ज्यादा होता है।Ionic बंध वाले यौगिक में अणु बहुत अधिक आकर्षण बल से जुड़े होते हैं जिसे boil और melt करना आसान नहीं होता।

Solubility:

Ionic बंध वाले यौगिक पानी में बहुत soluble होते है। यौगिक को पानी में डालने पर ये अपने आयन में टूट जाते हैं।

Conductivity:

Ionic बंध वाले यौगिक ठोस अवस्था में तो विद्युत के अच्छे चालक नहीं होते क्योंकि ठोस अवस्था में आयन गति करने के लिए मुक्त नहीं होते है (विद्युत धारा आयन के गति से ही उत्पन्न होता है)। लेकिन जब इन यौगिक को गलित अवस्था या जलिय अवस्था में लाया जाता है तब ये विद्युत के अच्छे चालक हो जाते है क्योंकि आयन गति करने के लिए स्वतंत्र हो जाते है।

Crystal Structure;

Ionic बंध वाले यौगिक ठोस अवस्था में पाए जाते है तथा ठोस की क्रिस्टल संरचना काफी मजबूत होती है।ये यौगिक के अणु अधिक पास पास होते है।जिससे HCP, CCP संरचना होती है।

Chemical reaction;

Ionic बंध वाले यौगिक की क्रियाएं बहुत तेज होता है।ये बहुत जल्दी अभिक्रिया कर लेते है तथा precipitation बनाते है।

Question; सबसे ज्यादा Ionic character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।(NaCl,KCl,RbCl,CsCl)

Ans; सबसे मजबूत Ionic बंध बनने के लिए धातु की ionisation एनर्जी कम होनी चाहिए तथा non metals के इलेक्ट्रॉन affinity अधिक होनी चाहिए।(Ionic बंध metals और non metals के बीच बनता है)।समूह में नीचे जाने पर धातु के ionisation एनर्जी कम होती है तथा आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर बढ़ता है।non metals के इलेक्ट्रॉन affinity समूह में कम होती जाती है तथा आवर्त में बढ़ता है।
अतः प्रथम समूह में Cesium के ionisation एनर्जी सबसे कम होती है इसलिए Ionic बंध का क्रम CsCl>RbCl>KCl>NaCl होगा।

Question: NaF,NaCl,NaBr,NaI को Ionic बंध के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

इन यौगिक में धातु समान है। Ionic bandh के मजबूत होने के लिए non metals केelectron affinity अधिक होनी चाहिए। इलेक्ट्रॉन affinity Ka क्रम F>Cl>Br>I होता है अतः Ionic bandh Ka क्रम NaF>NaCl>NaBr>NaI होगा

Wednesday, 19 June 2019

Pauli's Exclusion Principle। Quantum numbers question iit neet in hindi

Quantum numbers questions;

Question; यदि n=1, l=0, m=0, s= +1/2 हो तो इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए 

प्रथम कोश में केवल एक उपकोष होता है s subshell जिसमें केवल एक कक्षक होता है।जिसमें दो इलेक्ट्रॉन हो सकते है जिसका चक्रण या तो +1/2 होता है या -1/2 होता है।प्रश्न में चक्रण क्वांटम संख्या का मान +1/२ दिया है अतः केवल एक इलेक्ट्रॉन होगा।

Question; n=0, l=0,m=1 क्या यह सेट संभव है।

Ans; संभव नहीं है क्योंकि n मुख्य क्वांटम संख्या को बताता है जो कि परमाणु के आकार तथा कोश के बारे में बताता है।कोई भी परमाणु बिना कोश के संभव नहीं होता अतः n का मान कभी शून्य नहीं हो सकता।

Question: क्या यह सेट संभव है। (n=2, l=1, m=-1, s= +1/2

Ans; yes,
n=2 अर्थात द्वितीय कोश के लिए l का मान 0 और 1 होता है अर्थात द्वितीय कोश में दो सब्शेल होते है s और p subshell। l=1 के लिए m का मान (-1,0,+1) होता है अर्थात p subshell me 3 कक्षक होते है। अतः n=2 के लिए l=1 तथा m= -1 संभव है तथा प्रत्येक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है जिसका चक्रण +1/2 या -1/2 होता है अतः चक्रण क्वांटम संख्या का मान +1/2 संभव है अर्थात केवल एक इलेक्ट्रॉन होगा।

Question; एक परमाणु कक्षक के लिए n=3 है तो इसमें l के संभावित मान बताइए।

Ans; किसी n के लिए l का मान 0 से n-1 तक होता है।अतः n=3 के लिए l का मान 0,1,2 होगा अर्थात तीसरे कोश में तीन उपकोष s,p,d है।

Question; इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए यदि n=3,l=1

Ans; n=3 के लिए l का मान 0,1,2 होता है अर्थात तीसरे कोश में तीन उपकोष होता है s,p और d। l=1 के लिए m का मान -1,0,+1 होता है अर्थात p subshell me 3 कक्षक होते है जिसमें प्रत्येक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है अतः p कक्षक में कुल 6 इलेक्ट्रॉन होते है।

Question; n=3,l=2,m=+2,s=+1/2 के लिए इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।

n=3 के लिए l का मान 0,1,2 होता है अर्थात तीसरे कोश में तीन उपकोष होते है s,p,d। l=2 के लिए m का मान -2,-1,0,+1,+2 होता है अर्थात d subshell me 5 कक्षक होते है जिसमें प्रत्येक कक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन सहित कुल 10 इलेक्ट्रॉन हो सकते है। m=+2 के लिए s=+1/2 है अर्थात d उपकोष के किसी एक कक्षक में सिर्फ एक इलेक्ट्रॉन है
अतः कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या 1 होगी।

Pauli's Exclusion Principle( पाउली का अपवर्जन सिद्धांत)

क्वांटम संख्या के अध्ययन के पश्चात पाउली ने एक सिद्धांत प्रस्तुत किया जिसे पाउली का अपवरजन सिद्धांत कहते है।उनके अनुसार

किसी परमाणु के किसी कक्षक के दो इलेक्ट्रॉन की चारो क्वांटम संख्या समान नहीं हो सकती,यदि इनके n,l,m के मान समान है तो इन दो इलेक्ट्रॉन की चक्रण क्वांटम संख्या भिन्न होगी,चक्रण क्वांटम संख्या या तो +1/2 होगा या -1/2 होगा।

इनके अनुसार किसी कक्षक में अधिकतम दो हाी इलेक्ट्रॉन हो सकते है।
जैसे कि पहले कोश के लिए प्रथम इलेक्ट्रॉन भरने के लिए n=1,l=0 ,m=0 तथा s=+1/2 होता है तथा दूसरे इलेक्ट्रॉन के लिए n=1,l=0,m=0 तथा s=-1/2 होता है जिससे स्पष्ट है कि किसी कक्षक के लिए दो इलेक्ट्रॉन कि n,l,m का मान समान हो सकता है लेकिन चक्रण क्वांटम संख्या का मान भिन्न होता है।


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Monday, 17 June 2019

Quantum numbers। Quantum numbers in hindi। Quantum numbers IIT NEET। Quantum numbers question Answer।

Quantum number (क्वांटम संख्या)

सर्वप्रथम Neil Bohr ने बताया कि इलेक्ट्रॉन एक particle है जो नाभिक के चारो ओर चक्रण करता है।फिर बाद में Huysenberg, De Broglie जैसे वैज्ञानिकों ने बताया कि इलेक्ट्रॉन एक तरंग है जो कि 3 D में रहता है। इरविन श्रोडिंगर ने इलेक्ट्रॉन को तरंग बताया और इसकी पाए जाने की संभावना के लिए समीकरण दिए। फिर इन समीकरणों से तीन क्वांटम संख्या, मुख्य क्वांटम संख्या(Principal Quantum number), azimuthal Quantum number तथा Magnetic quantum number जो इलेक्ट्रॉन के पाए जाने वाले स्थान अर्थात कक्षक की आकृति,आकार तथा अभिविन्यास के बारे में बताता है,का प्रादुभाव हुआ।
किसी इलेक्ट्रॉन के चक्रण को स्पष्ट करने के लिए एक और क्वांटम संख्या की जरूरत होती है जिसे चक्रण क्वांटम संख्या (Spin quantum number) कहते है।
कक्षक वह 3 D space होता है जहां इलेक्ट्रॉन की पाए जाने की संभावना अधिक होती है।
अतः क्वांटम संख्या किसी परमाणु के किसी इलेक्ट्रॉन के बारे  में संपूर्ण जानकारी देता है।अर्थात उसकी एनर्जी,आकार,आकृति,अभिविन्यास के बारे में बताता है।
इस प्रकार इन चार क्वांटम संख्या के द्वारा यह ज्ञात किया जा सकता है कि किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन कौन सी शेल में है या कौन सा ऊर्जा स्तर में है,उस कोश के किस उपकोष में है या उप ऊर्जा स्तर में है तथा उस उपकोष के किस कक्षक में है तथा चक्रण क्या है इसके बारे में जानकारी मिलती है।

Principal quantum number;

यह क्वांटम संख्या मुख्य ऊर्जा कोश या मुख्य ऊर्जा स्तर के बारे में बताता है जिसमें इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहता है। इसे n से प्रदर्शित करते है।n के मान से मुख्य ऊर्जा स्तर या कोश के बारे में जानकारी मिलती है जिसमें इलेक्ट्रॉन उपस्थित रहता है और चक्रण करता है।
यदि n=1 हो तो इसे K कोश कहते है जो नाभिक से प्रथम वाला कोश होता है।
n=2 को L कोश कहते है जो नाभिक से द्वितीय वाला होता है।
n=3 को M कोश कहते हैं n=4 को N कोश कहते है।
जैसे जैसे n का मान बढ़ता है कोशो की संख्या भी बढ़ती जाती है जिससे परमाणु का आकार बढ़ता है।
n के मान से परमाणु की ऊर्जा का ज्ञान होता है।
किसी कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या का ज्ञान होता है जिसे सूत्र 2n^2 (two n square) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।जैसे n=1 में 2 electrons तथा  n= 2 में 8 electrons होता है।

Azimuthal Quantum number:

एक ही मुख्य कोश में कई उप कोश या उप ऊर्जा स्तर होते है। इन उपकोशो को करने हेतु azimuthal Quantum number ki आवश्यकता होती है।इसे  l द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है।
l के मान मुख्य क्वांटम संख्या(n) पर निर्भर करता है। n के किसी मान के लिए l के कुल उतने है मान 0 से n-1 तक होते है। l के संभावित मान 0,1,2,3....हो सकते है।
यदि l=0 तब वह s subshell कहलाता है,यदि l = 1 tab वह p subshell, l=2 then d subshell and l=3 then d subshell होता है।

n= 1 के लिए l का मान 0 से n-1 तक होता है अतः n=1 अर्थात प्रथम कोश के लिए l = 0 होता है अर्थात प्रथम कोश में एक उप कोश s होता है।
n=2 के लिए l का मान 0 और 1 होता है अर्थात द्वितीय कोश में दो उप कोश s और p subshell होता है।
n= 3 के लिए l का मान 0,1 तथा 2 होता है अर्थात तृतीय कोश में तीन उप कोश होते है अर्थात s,p और d subshell होते है।
विभिन्न उप कोशो को s,p,d और f द्वारा प्रदर्शित किया जा सकता है जिसका पूरा नाम sharp,principal,diffuse aur fundamental होता है।
s subshell का आकार spherical (वृत्ताकार),p sabshell का आकार डंबल होता है, d subshell का आकार double dumb bell होता है।

Magnetic quantum number;

यह क्वांटम संख्या कक्षक के अभिविन्यास के बारे में बताता है।यह मुख्यत कक्षक के बारे में बताता है।
इसका मान -l से +l होता है जिसका सूत्र 2l+1 होता है।
l=0 अर्थात s उप कोश के लिए m का सिर्फ एक मान 0 होता है।
l=1 के लिए m के मान 2×1+1=3 होता है जिसका मान -l से +l तक ( -1,0,+1) होता है।
l=2 के लिए m का मान 2×2+1=5 होता है अर्थात -2,-1,0,+1,+2 होता है।
यह क्वांटम संख्या कक्षक के बारे में जानकारी देती है।
l=0 अर्थात s subshell में m=0 अर्थात केवल एक कक्षक  होता है। l=1 अर्थात p subshell के लिए m=3 होता है अर्थात p subshell me तीन कक्षक होते है।
इसी तरह d subshell mein 5 कक्षक होते है तथा f subshell me 7 कक्षक होते है।

 Spin quantum number;

यह क्वांटम संख्या यह बताता है कि किसी कक्षक में केवल दो इलेक्ट्रॉन हो सकते है जिसके चक्रण विपरीत होते है।यदि एक इलेक्ट्रॉन का चक्रण +1/2 हो तो दूसरा इलेक्ट्रॉन का चक्रण -1/2 होगा।यदि पहले इलेक्ट्रॉन का चक्रण -1/2 हो तो दूसरे इलेक्ट्रॉन का चक्रण +1/2 होगा।

जैसे तीसरे कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।
तीसरे कोश अर्थात n=3 के लिए l के मान 0,1,2 होगा। l=0 के लिए m का मान 0 होगा अर्थात सिर्फ एक कक्षक होगा जिसमें दो इलेक्ट्रॉन भरे होते है।
l=1 के लिए m का मान तीन होता है(-1,0,+1) अर्थात तीन कक्षक होता है जिसमें 6 इलेक्ट्रॉन भरे होते है।
l=2 के लिए m का मान (-2,-1,0,+1,+2) होता है अर्थात 5 कक्षक होते है जिसमें 10 इलेक्ट्रॉन होते है।
अतः तीसरे कोश में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या 2+6+10=18 होगा।

Question; n=2, l=1, m=0, mein इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।

n=2 में l=1 m=3(-1,0,+1) अर्थात तीन कक्षक होते है।तथा प्रत्येक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है। अतः m=0 me 2 electron होगा।

Question; n=4 mein इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।

n=4 अर्थात चौथे कोश के लिए l का मान 0,1,2 होता है। l=0 के लिए m का मान 0 होता है अर्थात s उपकोष में केवल एक कक्षक होते है जिसमें अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन होते है।
l =1 के लिए m का मान 3(-1,0,+1) होता है अर्थात p subshell mein 3 कक्षक होते है जिसमें 6 इलेक्ट्रॉन भरे जाते है।
l=2 के लिए m का मान 5(-2,-1,0,+1,+2) होता है अर्थात d subshell me 5 कक्षक होते है जिसमें अधिकतम 10 इलेक्ट्रॉन भरे होते है।
l= 3 के लिए m का मान 7(-3,-2,-1,0,+1,+2,+3)होता है जिसमें 14 इलेक्ट्रॉन भराए जाते है।
अतः चौथे कोश में कुल इलेक्ट्रॉन की संख्या 2+6+10+14=32 होगा।

Question; n=2, l=1, m=+1 me इलेक्ट्रॉन की संख्या ज्ञात कीजिए।

n=2 अर्थात दूसरे कोश के लिए l का मान 0,1 होता है।l=1 अर्थात p कक्षक के लिए m का मान तीन (-1,0,+1) होता है अर्थात p subshell me ३ कक्षक होते है।जिसमें प्रत्येक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है।अतः m=0 me 2 electron Hoga।
अतः दूसरे कोश के p subshell के लिए एक कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होगा।

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Friday, 14 June 2019

Ionisation energy। ionisation energy in hindi। Ionisation energy question answer। ionisation energy IIT NEET

Ionisation energy question answers IIT NEET


Question: magnesium ki प्रथम ionisation energy aluminium के प्रथम ionisation energy से अधिक होती है,क्यों?

ANS: आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation energy बढ़ती है,जिससे aluminium के प्रथम ionisation energy,magnesium के तुलना में ज्यादा होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता।magnesium के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2 होता है तथा aluminium का विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2,3P1 होता है।magnesium के s कक्षक पूर्ण भरे होते है तथा aluminium के p कक्षक में केवल एक इलेक्ट्रॉन होता है जिसे निकालना आसान होता है।p कक्षक के मुकाबले s कक्षक से इलेक्ट्रॉन निकालना मुश्किल होता है।

Question; ionisation energy निम्न में से किस पर निर्भर करता है?

A. परमाणु आकार
B. नाभिकीय आवेश
C. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास
D. इनमें से सभी पर

ANS : D. इनमें से सभी पर

Question; निम्न में से किसकी ionisation energy सबसे ज्यादा होती है

A. Silicon
B. Nitrogen
C. Oxygen
D. Neon

Ans: D. Neon की ionisation energy इनमें से ज्यादा होती है क्योंकि Neon एक अक्रिय गैस है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्टेबल होता है,ऑक्टेट पूर्ण होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है।

Question: निम्न में से किसकी ionisation energy low होती हैं

A. Lithium
B. Magnesium
C. Hydrogen
D. Cesium

Ans. (D) Cesium ki ionisation एनर्जी कम होती है क्योंकि समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना ज्यादा कठिन नहीं होता,कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।Cesium Ka परमाणु आकार बड़ा होता है इसलिए इसकी ionisation energy low Hoti है

Question; आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर ionisation energy:

A बढ़ती है 
B. घटती है
C. पहले बढ़ती है फिर घटती है
D. समान रहता है

Ans; A. बढ़ती है।
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है जिससे ionisation energy बढ़ती है।

Question; समूह में ionisation energy कम होता है क्योंकि;

A. परमाणु का आकार बढ़ता है
B. क्रियाशील गुण बढ़ता है
C. घनत्व बढ़ता है
D. इनमें से कोई नहीं

Ans; A. परमाणु का आकार बढ़ता है।
परमाणु आकार बढ़ने से बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम होता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन को निकालना आसान हो जाता है जिससे कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

Question; निम्न में से किस इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की ionisation energy अधिक होगी

A. 1S2,2S2,2P6,3S2
B.1S2,2S2,2P6,3S1
C. 1S2,2S2,2P3
D.1S2,2S2,2P6,3S2,3P3
 Ans: C 1S2,2S2,2P3 से इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है क्योंकि ये एक स्टेबल इलेक्ट्रॉनिक विन्यास है जिससे इससे ionisation energy अधिक होती है। विकल्प a और विकल्प D के भी विन्यास स्टेबल है लेकिन इनमें कोशो की संख्या अधिक है जिससे इनका आकार बड़ा है।आकार बड़ा होने पर नाभिक का आकर्षण बाह्य इलेक्ट्रॉन पर कम होता है इसलिए विकल्प C की ionisation energy ज्यादा होती है।

Question; निम्न में से किसकी ionisation energy low होता है

A. Nitrogen
B. Oxygen
C. Fluorine
D. Neon
 Ans; B oxygen
 Neon और नाइट्रोजन के विन्यास बहुत स्टेबल होने के कारण इनकी ionisation energy ज्यादा होती है तथा आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation energy बढ़ती है अतः फ्लोरीन का ionisation एनर्जी ज्यादा होती है।अतः ऑक्सीजन की ionisation energy low है 

Question; sodium और magnesium me से किसकी द्वितीय ionisation energy ज्यादा होगी

Ans sodium के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S1 तथा magnesium का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2 होता है।एक इलेक्ट्रॉन निकालने के  पश्चात सोडियम का विन्यास 2P6 हो जाता है जो कि बहुत स्टेबल है तथा एक इलेक्ट्रॉन निकालने के पश्चात magnesium ki विन्यास 3S1 होता है।इसलिए सोडियम की द्वितीय ionisation energy, magnesium से अधिक होती है।

Question: निम्न को प्रथम ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए। (Be,B,N,O)

Ans; B<Be<O<N
ऐसा  इसलिए होता है क्योंकि बेरिलियम के s कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन भरे होते है तथा बोरोन के अंतिम कक्षक अर्थात P कक्षक में एक इलेक्ट्रॉन होता है इसलिए beryllium से इलेक्ट्रॉन निकालना बोरोन से कठिन होता है।नाइट्रोजन की स्टेबल इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होने के कारण ionisation energy इनमें से सबसे ज्यादा होती है।ऑक्सीजन की ionisation एनर्जी beryllium से ज्यादा होता है क्योंकि इनकी नाभिकीय आवेश अधिक होती है।

Question: किसकी ionisation energy सबसे कम होती है

A. Halogens
B. Alkali metals
C. Alkaline earth metal
D. Inert gases

Ans; alkali metals प्रथम समूह के है तथा alkaline earth metal द्वितीय समूह के है।
Halogen  17th समूह में आते है तथा inert gases 18th समूह में आते है।
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है जिससे ionisation एनर्जी बढ़ती है। अतः alkali metals के ionisation energy low होती है।

Question; S,P,As को ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

Ans: As<S<P
Phosphorus ki stable विन्यास के कारण इसकी ionisation energy,sulphur से ज्यादा होती है।आर्सेनिक की ionisation energy इनमें से सबसे कम है क्योंकि समूह में नीचे जाने पर ionisation energy low होता है।

Question; निम्न में से कौन सा ionisation Ka क्रम सही है।

A. Ca<Mg<Be
B. Li<Na<K
C. N<C<B
D. C<Si<Ge
Ans:. A क्रम सही है क्योंकि समूह में नीचे जाने पर ionisation energy low होता है।

Question: निम्न में से कौन सा ionisation energy के सही क्रम है

A. Mg<Al<S<P<Cl<Ne
B. Al<Mg<S<P<Cl<Ne
C. Al<Mg<S<P<Cl<Ne
D. Mg<Al<P<S<Cl<Ne
Ans: (c) is correct
क्योंकि magnesium ki ionisation एनर्जी aluminium से अधिक होती है तथा फास्फोरस की ionisation एनर्जी sulphur से ज्यादा होती हैं।

Question; निम्न में से किसकी ionisation एनर्जी कम है

A. Lithium
B. Helium
C. Nitrogen
D. Zinc
Ans: A is correct
Helium तथा नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बहुत स्टेबल होते ही जिससे इनकी ionisation energy अधिक होती है तथा ज़िंक से भी इलेक्ट्रॉन निकलना आसान नहीं होता क्योंकि इनके भी सभी कक्षक भरे होते है अतः लिथियम की ionisation एनर्जी कम होती है।

Question; Na,Mg,Al,Si को प्रथम ionisation एनर्जी के सही क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

A. Na<Mg>Al<Si
B. Na<Mg<Al<Si
C. Na>Mg>Al>Si
D. Na<Mg<Al>Si
Ans: A is correct
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation एनर्जी बढ़ती है लेकिन तीसरे आवर्त में magnesium ki ionisation एनर्जी सोडियम से तो ज्यादा होती हैं साथ में aluminium से भी ज्यादा होती है क्योंकि magnesium के बाह्य p और s कक्षक पूर्ण भरे होते है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना आसान नहीं होता।

Question; परिरक्षण प्रभाव का सही क्रम बताइए।

Ans; S>P>D>F
S कक्षक का आकार छोटा होने के कारण यह नाभिक के पास होता है जो बाह्य इलेक्ट्रॉन को ज्यादा परिरक्षित करते है अतः इसका परिरक्षण प्रभाव ज्यादा होता है।

Question; इनमें से कौन सा क्रम ionisation एनर्जी के संबंध में सही नहीं है।

A. Chloride ion<Ar<potassium ion
B. Au<Ag<Cu
C. Cs<Rb<K
D. K<Ca<Sc

Ans; correct ans is B
विकल्प A Sahi क्रम है क्योंकि potassium में पहले से धनायन है अब इलेक्ट्रॉन निकालना द्वितीय ionisation एनर्जी कहलाएगा तथा द्वितीय ionisation एनर्जी हमेशा प्रथम ionisation एनर्जी से बड़ा होता है।विकल्प C भी सही क्रम है क्योंकि प्रथम समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ionisation एनर्जी कम होती है।तथा विकल्प D भी सही है क्योंकि आवर्त में नाभिकीय आवेश बढ़ता जाता है जिससे ionisation energy भी बढ़ती है।

Question; निम्न में से किस इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में प्रथम एवं द्वितीय ionisation एनर्जी में ज्यादा उछाल आत है।

A. 1S2,2S2,2P6,3S1
B. 1S2,2S2,2P6,3S2,3P1
C. 1S2,2S2,2P6,3S2,3P2
D. 1S2,2S2,2P6,3S2
ANS; D is correct

Question; निम्न में से कौन सा क्रम metallic character के सही क्रम है।

A. B>Al>Mg>K
B. Al>Mg>B>C
C. Mg>Al>K>B
D. K>Mg>Al>B
Ans; D is correct
समूह में नीचे जाने पर ionisation एनर्जी कम होती है तथा metallic character बढ़ता है तथा आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर ionisation एनर्जी बढ़ता है जिससे non metallic character बढ़ता है तथा metallic character low होती है।बोरोन द्वितीय आवर्त में आता है तथा potassium,magnesium,aaluminium तीसरे आवर्त के तत्व है तथा आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation एनर्जी बढ़ता है जिससे metallic character low होता है।

Question: निम्न में से कौन सा क्रम non metallic character के सही क्रम है

A. B>C>Si>N>F
B. Si>C>B>N>F
C. F>N>C>B>Si
D. F>N>C>Si>B
Ans: C is correct
आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर non metallic character बढ़ता है तथा समूह में नीचे जाने पर non metallic character low होता है।सिलिकॉन समूह में नीचे आता है इसलिए इसकी non metallic character low होती है।फ्लोरीन में सर्वाधिक नाभिकीय आवेश होता है इसलिए इसमें सर्वाधिक non metallic character होता है।

Thursday, 13 June 2019

Electron affinity। Electron affinity in hindi।electron affinity IIT NEET। Electron gain enthalpy। Factor affecting electron affinity। Trends in periodic table।

Electron Affinity (इलेक्ट्रॉन बंधुता)

जब किसी isolated,उदासीन,गैसीय परमाणु या अणु के द्वारा valence shell में ‍एक इलेक्ट्रॉन लिया जाता है जिससे जितनी ऊर्जा की मात्रा बाहर निकलती है,इलेक्ट्रॉन बंधूता कहलाता है। 


इलेक्ट्रॉन बंधूता सामान्यतः धनात्मक होती है।

X + electron =    X−(anion)  energy
जहां X atom/molecule है जो इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है। इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के पश्चात ऋणायन का निर्माण होता है।जिससे जितनी ऊर्जा मुक्त होती है उसी को इलेक्ट्रॉन बंधूता कहते हैं।

Electron gain enthalpy (इलेक्ट्रॉन ग्रहण एंथलपी)

परमाणु या अणु द्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने पर को ऊर्जा मुक्त होती है वहीं इलेक्ट्रॉन ग्रहण enthalpy कहलाता हैं। ऊर्जा का मुक्त होना उष्मक्षेपी अभिक्रिया होती है जो कि ऋणात्मक होती है अतः इलेक्ट्रॉन ग्रहण enthalpy negative होता है।

Measurement of Electron Affinity

इलेक्ट्रॉन बनधुता को ev/atom इलेक्ट्रॉन वोल्ट प्रति एटम या Kcal/mole kilo calorie per mole में मापा जाता है।

Successive electron Affinity (उत्तरोत्तर इलेक्ट्रॉन बनधूता)

X + electron = X−   +   energy ( EA first)

X  + Electron =  X−2   + energy (EA second)

 X−2   + Electron =  X−3 + energy (EA third)

परमाणु(X)  जब पहला इलेक्ट्रॉन ग्रहण करता है तब   X बनाता है तथा ऊर्जा मुक्त करता है जिससे प्रथम इलेक्ट्रॉन affinity धनात्मक होती है तथा इलेक्ट्रॉन gain enthalpy ऋणात्मक होती है।जब परमाणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर लेता है तब दूसरा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करना आसान नहीं होता क्योंकि इलेक्ट्रॉन और इलेक्ट्रॉन एक दूसरे को repel करते है जिससे इलेक्ट्रॉन ग्रहण कर पाना मुश्किल होता है अतः द्वितीय इलेक्ट्रॉन ग्रहण करवाने के लिए हमे ऊर्जा देनी पड़ती है जिससे द्वितीय इलेक्ट्रॉन affinity ऋणात्मक तथा द्वितीय electron gain enthalpy धनात्मक हो जाती है। वैसे ही तीसरा इलेक्ट्रॉन ग्रहण नहीं कर पाता ऊर्जा देनी पड़ती है।

जैसे Nitrogen के प्रथम एवं द्वितीय इलेक्ट्रॉन affinity में प्रथम इलेक्ट्रॉन affinity and द्वितीय इलेक्ट्रॉन affinity का योग हमेशा शून्य से कम होता है क्योंकि द्वितीय इलेक्ट्रॉन affinity बहुत ज्यादा ऋणात्मक होती है।इलेक्ट्रॉन affinity ऋणात्मक होने पर electron gain enthalpy धनात्मक होती है अतः नाइट्रोजन की प्रथम एवं द्वितीय इलेक्ट्रॉन gain enthalpy
 का योग हमेशा शून्य से बड़ा होता है।

Question: oxygen के प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय इलेक्ट्रॉन affinity तथा प्रथम,द्वितीय एवं तृतीय electron gain enthalpy के योग कीजिए।

ऑक्सीजन का प्रथम इलेक्ट्रॉन affinity धनात्मक होती है तथा दूसरा एवं तीसरा इलेक्ट्रॉन affinity बहुत ज्यादा ऋणात्मक हो जाती है क्योंकि कोई परमाणु या अणु एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने के पश्चात दूसरा इलेक्ट्रॉन आसानी से ग्रहण नहीं करता क्योंकि इलेक्ट्रॉन और इलेक्ट्रॉन में repulsion होता है जिससे हमें ऊर्जा देने की आवश्यकता होती है। अतः इलेक्ट्रॉन affinities के योग ऋणात्मक होती है जिससे इलेक्ट्रॉन gain enthalpies के योग धनात्मक होती है।

Factors affecting electron affinity

Atomic size: 

परमाणु का आकार जितना ज्यादा होगा,इलेक्ट्रॉन affinity उतना कम होगा क्योंकि परमाणु का आकार अधिक होने पर नाभिक का आकर्षण आने वाले इलेक्ट्रॉन पर कम हो जाता है जिससे  इलेक्ट्रॉन ग्रहण अच्छे से नहीं कर पाता जिससे इलेक्ट्रॉन affinity low होता है। परमाणु का आकार कम होने पर इलेक्ट्रॉन को नाभिक आकर्षित कर पाता है जिससे इलेक्ट्रॉन affinity अधिक होती है।

Nuclear charge:

Kisi परमाणु में जितना ज्यादा नाभिकीय आवेश होता है वो इलेक्ट्रॉन को ज्यादा आकर्षित करते है जिससे इलेक्ट्रॉन affinity बढ़ जाता है।नाभिकीय आवेश कम होने पर इलेक्ट्रॉन affinity भी कम होती है।

Stable electronic configuration;

जिस परमाणु का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्टेबल होता है अर्थात पूर्ण पूरीत या अर्धपूरीत विन्यास होता है उसका इलेक्ट्रॉन affinity बहुत कम लगभग शून्य के बराबर होता है।

Variation in electron affinity in periodic table;

Along a period;

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन affinity बढ़ती है।

Question: दूसरे आवर्त के तत्वों को बढ़ते हुए इलेक्ट्रॉन affinity के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन affinity बढ़ती है।अतः संभावित क्रम Li<Be<B<C<N<O<F<Ne होनी चाहिए लेकिन इसमें कुछ अपवाद है।Neon ek noble gas है जिसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास बहुत स्टेबल होता है जिससे उसकी इलेक्ट्रॉन affinity लगभग शून्य होती है।अतः  neon ki सबसे के इलेक्ट्रॉन affinity Hoti है।नाइट्रोजन और बरीलियम का भी विन्यास काफी स्टेबल होता है जिससे इनका भी इलेक्ट्रॉन affinity बहुत कम होता है। अतः क्रम
Ne<N<Be<B<Li<C<O<F होता है। Lithium के इलेक्ट्रॉन affinity boron से भी अधिक होती है क्योंकि lithium आसानी से एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके स्टेबल हो जाता है।

Question: तीसरे आवर्त के तत्वों को इलेक्ट्रॉन affinity के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

इनका क्रम भी दूसरे आवर्त के तत्वों की तरह होती है। आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे नाभिक का आकर्षण इलेक्ट्रॉन पर बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन affinity बढ़ती है।लेकिन कुछ अपवाद जैसे स्टेबल विन्यास,stability प्राप्त करना आदि के कारण क्रम Ar<P<Mg<Al<Na<Si<S<Cl होता है।

Down a group:

समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिससे नाभिक का आकर्षण इलेक्ट्रॉन पर कम होता जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन affinity कम हो जाती है।
जैसे पहले समूह में इलेक्ट्रॉन affinity के क्रम Cs<K<Na<Li Hoti है।
ऐसा दूसरे समूह में भी होता है लेकिन सत्रह्वे समूह में अपवाद पाया जाता है।
सत्रहवे समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन affinity low होती है जिससे क्रम I<Br<Cl<F होनी चाहिए लेकिन क्लोरीन का इलेक्ट्रॉन affinity सबसे अधिक होती है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि fluorine me आवेश तो अधिक होता है लेकिन इलेक्ट्रॉन को रखने के लिए ज्यादा जगह नहीं होती लेकिन क्लोरीन का आकार थोड़ा बड़ा होने के कारण इलेक्ट्रॉन को रखने के लिए जगह होती है इसलिए क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन affinity ज्यादा होती ही।
पूरे periodic table me Chlorine का इलेक्ट्रॉन affinity सबसे अधिक होती है।

यही क्रम तेरहवें,चौदहवे और पंद्रहवें समूह में भी होता है।
13th group : Ti<In<Ga<B<Al
14th group; Pb<Sn<Ge<C<Si
15th group: Bi<Sb<As<N<P
लेकिन सोलहवे समूह में थोड़ा सा और अपवाद होता है। सोलहवे समूह में ऑक्सीजन की इलेक्ट्रॉन affinity सबसे कम होती है।
O<Po<Te<Se<So
Experiments द्वारा ये पता चला है कि सोलहवे समूह में ऑक्सीजन की इलेक्ट्रॉन affinity सबसे कम होती है।

Question; कौन सबसे ज्यादा स्टेबल है?( Li   या B

Lithium एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके स्टेबल हो जाता है तथा बोरोन एक इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने पर उसके p कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है,स्टेबल इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ज्यादा स्टेबल होता है इसलिए लिथियम आयन,बोरोन  आयन से ज्यादा स्टेबल होता है।

Question: कौन सबसे ज्यादा स्टेबल है(  FCl ,  Br

क्लोरीन आयन सबसे ज्यादा स्टेबल होता है क्योंकि क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन affinity ज्यादा होती है जिससे आसानी से इलेक्ट्रॉन ग्रहण करके chloride ion बनाता है।फ्लोरीन का छोटा आकार होने के कारण इलेक्ट्रॉन affinity chlorine से कम होता है। तथा समूह में नीचे जाने पर इलेक्ट्रॉन affinity कम होता जाता है इसलिए bromine की भी इलेक्ट्रॉन affinity कम होता है।

Question; कौन आसानी से इलेक्ट्रॉन नहीं त्यागता(  Cl or Br

Chlorin की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की tendency अधिक होती है अतः क्लोरीन इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने स्टेबल हो जाता है जो इलेक्ट्रॉन नहीं त्यागता।bromine की इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने की tendency chlorine से कम होता है इसलिए bromine आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग सकता है

Question: Oxygen,sulphur,chlorine,iodine, Bromine and nitrogen को इलेक्ट्रॉन affinity के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

हम जानते है नाइट्रोजन की स्टेबल विन्यास होने के कारण आसानी से इलेक्ट्रॉन ग्रहण नहीं करता इसलिए इलेक्ट्रॉन affinity low होता है।सोलहवे समूह में ऑक्सीजन की इलेक्ट्रॉन affinity low होती है तथा सल्फर की अधिक होती है तथा सत्राहवे समूह में क्लोरीन की इलेक्ट्रॉन affinity सबसे अधिक होती है तथा iodine की सबसे कम होती है।
लेकिन प्रयोगों द्वारा यह पता चला है कि सात्रह्वे समूह के तत्वों का इलेक्ट्रॉन affinity, सभी समूह के तत्वों से सबसे अधिक होती है। अतः क्रम होगा N<O<S<I<Br<Cl





Wednesday, 12 June 2019

Ionisation energy। Ionisation energy in hindi। Factors affecting ionisation energy। Trends in periodic table। Ionisation energy question answer। Successive ionisation energy।

IONISATION ENERGY/POTENTIAL (आयनिकरण ऊर्जा):

किसी isolated, उदासीन,gaseous परमाणु से उसके सन्योजी कक्ष में उपस्थित ढीले बंधे इलेक्ट्रॉन को बाहर निकालने के लिए आवश्यक ऊर्जा को ionisation energy कहते है।
IONISATION ENERGY के लिए परमाणु को gaseous अवस्था में होना चाहिए क्योंकि ठोस अवस्था में परमाणु की बहुत से गुणों में कमी आ जाती है।परमाणु को isolated तथा उदासीन होना आवश्यक है।

X+energy = cation(x+)+electron

जहां X = एटम या molecule जिसका आयनिकरण होता है जिसे एनर्जी दिया जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकलने पर धनायन(cation) का निर्माण होता है।
Thermodynamics में दो process है एक exothermic process जिसमें heat release होता है तथा एक endothermic process जिसमें heat absorb होता है।

IONISATION ENERGY endothermic process है जिसमें उस्मा का अवशोषण होता है हमे एनर्जी देनी पड़ती है इलेक्ट्रॉन बाहर निकालने के लिए।

Successive ionisation energy (उत्तरोत्तर आयनिक ऊर्जा)

X + energy = cation  X+ + electron (IE first)
 X+  + Energy = X2+ + electron (IE second)
X2+ + energy =  X3+ + electron ( IE Third)


IE first < IE second <IE third

ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जब किसी परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन निकाला जाता है तब शेष इलेक्ट्रॉन नाभिक से ज्यादा आकर्षित हो जाते है,नाभिक 
द्वारा इलेक्ट्रॉन पर electrostatic force of attraction लगता है जिससे द्वितीय इलेक्ट्रॉन
निकालना ज्यादा कठिन हो जाता है जिससे अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।इसलिए तृतीय,द्वितीय ionisation energy,प्रथम ionisation energy से ज्यादा होता है।

 Factors affecting ionisation energy (आयनिकरण ऊर्जा को प्रभावित करने वाला कारक):

ATOMIC SIZE (परमाणु आकार):

परमाणु का आकर जितना छोटा होता है,आयनीकरण  ऊर्जा उतना ज्यादा होता है क्योंकि आकार छोटा होने से कोशो की संख्या कम
हो जाती है जिससे इलेक्ट्रॉन नाभिक के अधिक पास होता है जिससे इलेक्ट्रॉन नाभिक से अधिक विद्युत आकर्षण बल से
बंधा हुआ होता है,जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है।
यदि परमाणु आकार बड़ा हो तब ionisation energy कम होता है क्योंकि परमाणु का आकर अधिक होने से
सन्योजी इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का प्रभाव कम होता जिससे बाह्य कोश से इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

जैसे sodium aur Rubidium मे Rubidium की ionisation energy,sodium से कम होती है क्योंकि Rubidium की परमाणु आकार सोडियम से ज्यादा होती है।

NUCLEAR CHARGE( नाभिकीय आवेश);

किसी परमाणु में जितना ज्यादा नाभिकीय आवेश होता है,उससे इलेक्ट्रॉन निकालना उतना ज्यादा कठिन होता है
अर्थात अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।ऐसा इसलिए होता है क्योंकि
नाभिक में ज्यादा आवेश होने पर प्रोटॉन की संख्या बढ़ जाती है,प्रोटॉन में धनात्मक आवेश होता है जिससे बाह्य कोश के इलेक्ट्रॉन
पर नाभिक ज्यादा आकर्षण बल लगाता है जिससे ionisation energy अधिक होती है।
जैसे कि ऑक्सीजन और फ्लोरीन की तुलना में fluorin की ionisation energy अधिक होती है क्योंकि फ्लोरीन में 
नाभिकीय आवेश अधिक होता है ।

HALF FILLED/FULL FILLED ORBITALS (पूर्ण पुरीत या अर्धपूरित कक्षक)
पूर्णपूरित या आर्धपूरित कक्षक से इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होती है इसलिए ionisation energy ज्यादा होती है।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जो कक्षक full filled होते है वो कक्षक स्टेबल होता है जो अपना इलेक्ट्रॉन नहीं खोना चाहता जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन हो जाता है।
तथा जो कक्षक half filled होते है वो भी स्टेबल हो जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना आसान नहीं होता,अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।

PENUTRATION (भेदन क्षमता)

Ionisation energy भेदन क्षमता पर निर्भर करता है। भेदन क्षमता F<D<P<S इस क्रम में होती है अर्थात S कक्षक की penutration पॉवर ज्यादा होती जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है क्योंकि S कक्षक नाभिक के अधिक पास होता है तथा S कक्षक का आकार भी छोटा होता है।

TRENDS OF IONISATION ENERGY IN PERIODIC TABLE(ionisation energy की आवर्त सारणी में प्रवृत्ति)

ALONG A PERIOD:

PERIOD में बाएं से दाएं चलने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है तथा परमाणु का आकर कम भी होता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण अधिक होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है जिससे ionisation energy बढ़ता है।
जैसे हाइड्रोजन और हीलियम में हीलियम की ionisation energy अधिक होती है,क्योंकि बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती हैं।

Question: द्वितीय आवर्त के तत्वों को बढ़ते हुए ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation energy भी बढ़ती है अतः इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए संभावित क्रम Li<Be<B<C<N<O<F<Ne होनी चाहिए लेकिन इसके कुछ अपवाद है जैसे नाइट्रोजन की half filled कक्षक के कारण नाइट्रोजन का ionisation energy oxygen से ज्यादा होता है तथा बेरेलियम की ionisation energy boron से ज्यादा होती  हैं क्योंकि बोरोन के p कक्षक में सिर्फ एक इलेक्ट्रॉन होता है जिसे आसानी से निकाला जा सकता है जबकि बरेलियम की s कक्षक में दो इलेक्ट्रॉन होते है जिसे निकालना उतना आसान नहीं है।
अतः ionisation energy का बढ़ता क्रम Li<B<Be<C<O<N<F<Ne

Question: तीसरे आवर्त के त्वों को ionisation energy के बढ़ते हुए क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे ionisation energy भी बढ़ती है।अतः संभावित क्रम Na<Mg<Al<Si<P<S<Cl<Ar होना चाहिए मगर isme कुछ अपवाद है
जैसे फास्फोरस का ionisation energy sulphur से ज्यादा होती है क्योंकि फास्फोरस का स्टेबल इलेक्ट्रॉनिक विन्यास होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है,तथा magnesium की ionisation energy aluminium से ज्यादा होती है क्योंकि s कक्षक का penutration ज्यादा होता है। Argon ki ionisation energy सबसे ज्यादा होती है क्योंकि यह एक नोबल गैस है जिसका अस्टक पूर्ण होता है तथा अत्यधिक स्थाई होता है।अतः क्रम Na<Al<Mg<Si<S<P<Cl<Ar

Down the group:

समूह में नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिसे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम होता है जिससे ionisation energy कम होता है।जैसे प्रथम समूह के तत्वों का ionisation energy Cs<Rb<K<Na<Li के क्रम में होता है।प्रथम समूह में लिथियम की ionisation energy सर्वाधिक होती है क्योंकि लिथियम का आकार छोटा होता है।

पूरे आवर्त सारणी में सीजियम की ionisation energy सबसे कम होती है।


दूसरे समूह के तत्वों को बढ़ते हुए ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

जैसे जैसे समूह में नीचे जाते है,परमाणु आकार बढ़ता जाता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन पर नाभिक का आकर्षण कम होता जाता है जिससे कम ऊर्जा देने पर ही बाह्य इलेक्ट्रॉन को आसानी से निकाला जा सकता है अर्थात समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ionisation energy Kam होता जाता है।अतः दूसरे समूह के तत्वों की ionisation energy का ‌क्रम Ba<Sr<Ca<Mg<Be होता है।

तेरहवें समूह के तत्वों को ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ionisation energy कम होता जाता है।अतः क्रम Thalium<Indium<Galium<Aluminium<Boron होना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है क्योंकि इस समूह में कुछ अपवाद है।Thalium में f कक्षक में इलेक्ट्रॉन भराया जाता है जो lanthenoids तत्वों के बाद आता है जिससे Lanthenoid contraction होता है जिससे परमाणु का आकार छोटा हो जाता है जिससे बाह्य इलेक्ट्रॉन को निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है।Indium में भी D-D ट्रांजिशन(संक्रमण) होता है क्योंकि इंडियम में d कक्षक में इलेक्ट्रॉन भराया जाता है इसलिए आकार घट जाता है तथा इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। अतः क्रम Galium<Aluminium<Indium<Thalium<Boron होता है

Lanthenoid contraction:  Kisi भी परमाणु के मध्य में नाभिक होता है तथा नाभिक के बार कई कक्षक होते है जिसमें इलेक्ट्रॉन घूमते रहता है।बाह्य इलेक्ट्रॉन को अंदर वाले कक्षक के इलेक्ट्रॉन नाभिक के आकर्षण से बचाता है अर्थात कम करता है जिसे परिरक्षण प्रभाव (shielding effect)कहते हैं। Shielding effect का क्रम F<D<P<S होता है अर्थात s कक्षक की shielding effect सबसे ज्यादा तथा F कक्षक की shielding effect सबसे कम होती है। जो तत्व Lanthenoid समूह में आते है उनमें इलेक्ट्रॉन f कक्षक में प्रवेश करता है जो बाह्य इलेक्ट्रॉन को नाभिक के आकर्षण से बचा नहीं पाता जिससे परमाणु का आकार कम हो जाता है,बाह्य कोश नाभिक की ओर संकुचित हो जाता है जिसे Lanthenoid contraction कहते है।

चौदहवे समूह के तत्वों को ionisation energy के क्रम में व्यवस्थित कीजिए।

नीचे जाने पर Pb(lead) me Lanthenoid contraction होता है जिससे Pb का ionisation energy Sn(Tin) से ज्यादा होता है अतः क्रम Sn<Pb<Ge<Si<C होता है।

Question: nitrogen and oxygen ki प्रथम और द्वितीय ionisation energy की तुलना कीजिए।

नाइट्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P3 होता है
ऑक्सीजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P4 होता जिसके अनुसार पहले इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अर्थात प्रथम ionisation energy nitrogen ki ज्यादा होती है क्योंकि नाइट्रोजन की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास स्टेबल होता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन हो जाता है।
अब प्रथम इलेक्ट्रॉन निकलने के बाद नाइट्रोजन का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P2 होता है तथा ऑक्सीजन का विन्यास 1S2,2S2,2P3 हो जाता है जिससे दूसरा इलेक्ट्रॉन निकालना ऑक्सीजन से कठिन हो जाता है क्योंकि अब ऑक्सीजन का विन्यास स्टेबल होता है।
अतः नाइट्रोजन और ऑक्सीजन की तुलना करने पर प्रथम ionisation energy nitrogen ki अधिक होती है तथा द्वितीय ionisation energy oxygen ki अधिक होती है।

Zinc और कॉपर की प्रथम और द्वितीय ionisation energy ki तुलना कीजिए।

Zinc का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S2 होता है तथा कॉपर का विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S1 होता है।इन दोनों में से zinc से प्रथम इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है क्योंकि zinc का नाभिकीय आवेश ज्यादा है। अब प्रथम इलेक्ट्रॉन निकलने के पश्चात ज़िंक की इलेक्ट्रॉनिक विन्यास  1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S1 हो जाता है तथा कॉपर का विन्यास 1S2,2S2,2P6,3S2,3P6,3D10,4S0  होता है।अब द्वितीय इलेक्ट्रॉन निकालना कॉपर से कठिन हो जाता ।है क्योंकि अब कॉपर का विन्यास स्टेबल हो जाता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन हो जाता है।
अतः ज़िंक और कॉपर में प्रथम ionisation energy zinc ki अधिक तथा द्वितीय ionisation energy copper ki अधिक होता है।

Application of ionisation energy

Metals and non metals:

Metals: धातु वे होते है जो आसानी से इलेक्ट्रॉन त्याग सकते है।अतः वे सभी तत्व जिनकी ionisation energy low होती है,कम ऊर्जा देने पर इलेक्ट्रॉन निकल जाता है वे धातु कहलाते हैं।
Non metals: वे सभी तत्व जो आसानी से इलेक्ट्रॉन नहीं त्यागते,इलेक्ट्रॉन निकालने के लिए अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है,जिनकी ionisation energy अधिक होती है वे सभी तत्व अधातू कहलाते है।
समूह में ऊपर से नीचे जाने पर परमाणु का आकार बढ़ता है जिससे ionisation energy low होती हैं जिससे धात्विक गुण बढ़ता है तथा आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर धातविक गुण कम होता है।
आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है जिससे ionisation energy बढ़ता है तथा अधात्विक गुण बढ़ता है।

Acidic and Basic character

Metals के ऑक्साइड्स क्षारीय प्रकृति के होते है अतः समूह में ऊपर से नीचे जाने पर ionisation energy low होती है जिससे metallic character बढ़ता है जिससे इनकी oxides के क्षारीय प्रकृति बढ़ती है तथा आवर्त में चलने पर metallic character low होता है जिससे क्षारीय character low होता है 

Non metals के oxides अम्लीय प्रकृति के होते है।आवर्त में बाएं से दाएं जाने पर non metallic character बढ़ता है जिससे अम्लीय प्रकृति बढ़ती है। तथा समूह में नीचे जाने पर अम्लीय प्रकृति कम होती है।

Question; metallic character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए। Na,Mg,Al,Si

Ans:आवर्त में बाएं से दाए चलने पर नाभिकीय आवेश बढ़ता है जिससे इलेक्ट्रॉन निकालना कठिन होता है जिससे आयनीionisa energy low होता है जिससे metallic character low होता है अतः क्रम Si<Al<Mg<Na है।

प्रश्न; non metallic character के क्रम में व्यवस्थित कीजिए। F,Cl,Br,I

Ans: समूह में नीचे जाने पर non metallic character low होता है अतः क्रम  I<Br<Cl<F Hoga

प्रश्न: इन oxides को क्षारीय क्रम में व्यवस्थित कीजिए। Na2O,K2O,Rb2O,Cs2O

समूह में नीचे जाने पर ionisation energy low होती है जिससे metallic character बढ़ता है जिससे क्षारीय प्रकृति बढ़ती है। अतः क्रम Na2O<K2O<Rb2O,Cs2O होगा।

प्रश्न: अम्लीय प्रकृति के क्रम में व्यवस्थित कीजिए। Na2O,MgO,Al2O3,SiO2,N2O5

आवर्त में बाएं से दाएं चलने पर ionisation एनर्जी
बढ़ता है जिससे non metallic character बढ़ता है जिससे अम्लीय प्रकृति बढ़ती है अतः क्रम Na2O<MgO<Al2O3<SiO2<N2O5 hoga



Thanks for reading 🙏🙏🙏keep study and stay blessed students 🤗